निर्णय !

‎लघुकथा

-डॉ. समय सिंह मीना-

samay singh meena
समय सिंह मीना

श्याम लाल स्नानघर में नहाने में तल्लीन था। तभी उसे किसी चीज के फैंकने की आवाज आती है और वह मन ही मन बड़बड़ाने लगता है कि सामने वाले घर के ऊपर के कमरे में रहने वाले किरायेदारों को आज समझाना ही पड़ेगा। आये दिन पोलीथीन में सामान रखकर मेरे मकान के सामने वाले खाली प्लॉट में फेंकते रहते हैं और मैं ही अकेला सफाई करता रहता हूं। आज इनके मकान मालिक को शिकायत करनी ही पड़ेगी। इसी उहापोह में जब वह नहाकर बाहर आता है तो बेटा आदित्य कहता है पापा अभी आपने आवाज सुनी। न्यूज़ पेपर वाला न्यूज पेपर फैंककर गया। बेटे की बात सुनकर श्याम लाल झटका सा महसूस करता है और मन ही मन कहता है कि व्यक्ति को सभी पक्षों पर विचार कर के ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए।

डॉ. समय सिंह मीना
सहायक आचार्य, संस्कृत
राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा
मो.नं. 9468624700

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