
-विवेक कुमार मिश्र-

रविवार का दिन है
छुट्टी और शांत सा
सूरज के प्रकाश से चमकता दिन
रविवार इस मायने में कि बेफिक्र होकर
आप अपना काम-धाम कर सकते हैं
आफिस आफिस का खेल नहीं
किसी की सुनना नहीं
न ही किसी को सुनाने की पड़ी
अपने ढ़ंग से अपनी दुनिया को देखते हुए
चल फिर सकते हैं मन के संसार में
विचरण कर सकते हैं है
यह सोचते हुए निकल पड़ा कि
आज क्यों न बिग बाजार चला जाय
बाजार को जब जब देखते हैं तो
दुनिया की गति और दुनिया कहां जा रही है
का कयास लगाने के सूत्र कुछ न कुछ
हाथ आ ही जाते हैं
देखता हूं कि लोग हर उम्र के
बाजार में घूम रहे हैं
एस्केलेटर से उपर नीचे आ जा रहे हैं
ये स्वचालित सीढियां भी खूब हैं
आराम से नीचे से ऊपर तो ऊपर से नीचे लाती हैं
बस हिम्मत कर इनके साथ आप को हो जाना है
लोग इतने आ जा रहे हैं की सीढियां व्यस्त हैं
आवागमन जारी है पर कोई भी हाथ में थैला लिए
या पदार्थों की पोटली लिए नहीं दिखता
सब हाथ हिलाते चल रहे हैं
इधर से उधर जा रहे हैं
बाजार में शोर बहुत है
पर कोई कुछ ले नहीं रहा है
इतना काफी है अर्थ तंत्र पर
और क्या टिप्पणी करें ।
-विवेक कुमार मिश्र
सह आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002