
-दुनिया में बदल रहे हैं समीकरण
-द ओपिनियन-
चीन की सत्ता पर अपनी पकड़ और मजबूत कर लेने के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले हफ्ते रूस की तीन दिन की यात्रा पर जाएंगे। जिनपिंग का यह दौरा बहुत अहम है। उन्होंने हाल में दो इस्लामिक देशों सउदी अरब और ईरान में बरसों से जारी दुश्मनी खत्म कराकर राजनयिक रिश्ते बहाल करा दिए। दोनों देशों को सुलह की राह पर लाना चीनी की बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है। सउदी अरब खाड़ी में अमेरिका का विश्वसनीय साथी रहा है और ईरान से अमेरिका की अदावत रही है। लेकिन चीन ने दोनों देशों में मेल कराकर अमेरिकी खेमे से कूटनीतिक बढ़त हासिल कर ली है। अब जिनपिंग की मास्को यात्रा भी अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। चीन सैन्य बल के साथ साथ कूटनीतिक प्रभाव भी बढ़ाना चाहता है और यदि वह यूक्रेन व रूस के बीच मौजूदा संघर्ष को समाप्त कराने के लिए कोई सार्थक पहल कर पाए तो दुनिया में चीन का कद बढ़ जाएगा।
अपनी यात्रा के दौरान जिनपिंग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे और इस पर पूरी दुनिया की नजर रहेंगी। मास्को ने भी जिनपिंग की रूस यात्रा की पुष्टि कर दी है और कहा है कि उनकी यात्रा के दौरान रूस और चीन के बीच व्यापक साझेदारी संबंधों और रणनीतिक सहयोग सहित सामयिक मुद्दों पर चर्चा होगी। यह तथ्य जगजाहिर है कि जिनपिंग रूस-चीन-ईरान धुरी बनाने में जुटे हैं और यदि सउदी अरब इसमें करीब आ गया तो अमेरिका के लिए परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए जिनपिंग का रूस दौरा बहुत मायने रखता है। चीन अमेरिका के बीच पहले ही ताइवान पर चीनी रुख को लेकर खटपट चल रही है। ऐसे में यदि जिनपिंग रूस यूक्रेन के बीच शांति प्रयासों को आगे बढ़ा देते हैं तो वह एक वैश्विक नेता के रूप में अपना कद बढा लेंगे।