ट्विन टावर का खत्म हुआ पावर

कल गगनचुंबी था, आज मलबे का ढेर

नोएडा। नोएडा के सेक्टर 93 ए स्थित आसमान छूती ट्विन टावर अब मलबे का ढेर बन गई हैं। महज आठ सैकण्ड लगे ताश के पत्तों की तरह बिखरते हुए। देश में संभवतया ये पहला मौका था जब किसी इतनी ऊंची इमारत को इस तरह ध्वस्त किया गया है। टावर गिरने से आसपास की इमारतों में किसी तहर का नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है।
टावर में जैसे ही धमाके शुरू हुए, धुएं का गुबार उठने कई किलोमीटर दूर तक धुएं का गुबार लोगों को नजर आया। ऐहतियात के तौर पर 500 मीटर के दायरे के आने वाली सभी इमारतों को पहले ही खाली करा लिया गया था। ठीक दो बजकर 30 मिनट पर पहला धमाका हुआ। ये धमाका 29 मंजिला इमारत के सबसे नीचे हुआ। इसके बाद एक के बाद एक 29 मंजिले इमारत के हर फ्लोर पर ब्लास्ट हुआ। कुछ सेकेंड के अंदर ही ये 29 मंजिला इमारत धराशाही हो गया। इसके तुरंत बाद 32 मंजिला इमारत में ब्लास्ट शुरू हुआ। इसमें भी शुरुआत इमारत के सबसे नीचे से हुई। इस तरह आठ सेकेंड के अंदर दोनों इमारतें टूटे अरमानों की तरह बिखर गई। कितने ही लोगों की आशियानें की उम्मीद मलबे के साथ बिखर गई।
ट्विन टावर को गिराए जाने से करीब 80 हजार टन मलबा निकलेगा, जिन्हें साफ करने में कम से कम 3 महीने का समय लगेगा। पूरे इलाके में धूल की एक मोटी परत जम गई है, जिन्हें युद्धस्तर पर साफ किया जाना है। इस ट्विन टावर के निमार्ण पर करीब 500 करोड रुपए खर्च होने का अनुमान है। साफ है यह पैसा व्यर्थ हो गया। टावर को सुप्रीम कोर्ट के पफैसले के बाद ढहाया गया है। लेकिन यह घटना कई सवाल खडे कर गई। सबसे अहम सवाल हमारे नगर नियोजन पर है। कैसे नियमों की अनदेखी कर इतनी विशाल इमारतें खडी हो जाती हैं। लगता है हमारा तंत्र और सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार की अफीम में डूबा रहता है। अन्यथा कैसे यह सब निर्माण कार्य हो जाता है ।

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