
-देवेन्द्र यादव-

कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के सहारे के बजाय अपने दम पर खडे होने का समय आ गया है। कांग्रेस ने 1980 और 2004 में यही कारनामा दोहराया था। तब कांग्रेस ने स्वयं के दम पर देश की सत्ता मैं वापसी की थी। पार्टी के मौजूदा नेता कांग्रेस के इतिहास की बार-बार बात करते हैं, मगर उस इतिहास को भूल जाते हैं जब 1980 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने स्वयं के दम पर कांग्रेस को खड़ा किया और केंद्र की सत्ता में वापसी की। इसी तरह 2004 में श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस को खड़ा करके केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार को उखाड़ फेंका और विपक्षी दलों से गठबंधन कर केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार बनाई।
श्रीमती इंदिरा गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी ने देश में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए विपक्षी दलों का सहारा नहीं लिया बल्कि अपनी और कांग्रेस की ताकत का एहसास कराया उसके बाद सरकार बनाई।
राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा कर श्रीमती इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के पद चिन्ह पर चलकर बड़ा प्रयास किया था मगर कांग्रेस, जन समर्थन मिलने के बावजूद राहुल गांधी के प्रयासों का फायदा नहीं उठा सकी क्योंकि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के घटक दलों पर विश्वास कर निर्भर हो गई। नतीजा यह रहा की कांग्रेस को 99 सीट जीतने में कामयाबी तो मिली मगर केंद्र की सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। यदि कांग्रेस इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी की तरह स्वयं के दम पर चुनाव लड़ती तो शायद परिणाम 1980 और 2004 को दोहराते। क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में लड़ रही थी। इसलिए कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में दलित और आदिवासी मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिलता दिखाई भी दे रहा था। मगर कांग्रेस इस अवसर को भुनाने से चूक गई और कांग्रेस ने घटक दलों पर भरोसा किया।
कांग्रेस बार-बार इसी गलती को राज्य विधानसभा चुनाव में भी दोहराती रही और राज्यों में कमजोर होती रही। सवाल उठने लगा कि कांग्रेस क्या बेदम हो गई है। कांग्रेस अपने दम पर राज्यों में चुनाव लड़कर जीत नहीं सकती है। जबकि परिणाम बता रहे हैं कि कांग्रेस घटक दलों से समझौता करने के बाद राज्यों में बुरी तरह से चुनाव हार रही है। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं को समझना होगा और श्रीमती इंदिरा गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी के इतिहास को याद करके खुद का दम दिखाना होगा।
कांग्रेस ने संविधान दिवस के अवसर पर घोषणा की है कि ईवीएम मशीनों के खिलाफ भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर देश भर में यात्रा करेगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के उद्घोष को समझना होगा और कांग्रेस को स्वयं का दम दिखाना होगा। ईवीएम मशीनों के खिलाफ कांग्रेस के आंदोलन को जन समर्थन मिलेगा क्योंकि देश की जनता को भी विश्वास नहीं होता है कि देश में इतनी महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद भारतीय जनता पार्टी लगातार चुनाव कैसे जीत रही है। राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा स्वयं के दम पर की थी। ऐसे ही ईवीएम मशीनों को हटाओ और वैलिड पेपर लाओ यात्रा की शुरुआत अपने दम पर करनी चाहिए। कांग्रेस का दम को देखकर शेष विपक्षी दल स्वयं ही साथ लग जाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)