
मेरा सपना… 26
-शैलेश पाण्डेय-
इटली की राजधानी रोम के इतिहास, आर्किटेक्चर, शहर की बनावट से अभिभूत हम लोग वेटिकन सिटी पहुंचे। यह केथोलिक ईसाईयों का प्रमुख धर्मस्थल हैं। एक दीवार के विभाजन से यह रोम से अलग देश के तौर पर स्थापित है। मात्र एक हजार के करीब की आबादी और छोटे से क्षेत्रवाला दुनिया का सबसे छोटा देश भले ही हो लेकिन यहां दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा चर्च सेंट पीटर्स बेसिलिका, सिस्टिन चैपल और वेटिकन संग्रहालय हैं जो पर्यटकों को अभिभूत करने के लिए पर्याप्त हैं। यहीं पर माइकल एंजेलो द्वारा सिस्टिन चैपल की के अंदर की छत पर बनाई अमर पेंटिंग है। हालांकि वेटिकन सिटी एक समय इटली की राजधानी रोम का हिस्सा था लेकिन 1929 में यह स्वतंत्र देश बना। इसके प्रति श्रद्धा का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन सेना ने रोम पर तो बमबारी की लेकिन वेटिकन सिटी को एकदम सुरक्षित रखा। आप यदि कला प्रेमी है तो महज माइकल एंजेलो की बनाई अमर पेंटिंग की वजह से ही वेटिकन सिटी जाने को तत्पर हो सकते हैं।
इटली की राजधानी रोम के इतिहास, आर्किटेक्चर, शहर की बनावट से अभिभूत हम लोग वेटिकन सिटी पहुंचे। यह केथोलिक ईसाईयों का प्रमुख धर्मस्थल हैं। एक दीवार के विभाजन से यह रोम से अलग देश के तौर पर स्थापित है। मात्र एक हजार के करीब की आबादी और छोटे से क्षेत्रवाला दुनिया का सबसे छोटा देश भले ही हो लेकिन यहां दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा चर्च सेंट पीटर्स बेसिलिका, सिस्टिन चैपल और वेटिकन संग्रहालय हैं जो पर्यटकों को अभिभूत करने के लिए पर्याप्त हैं। यहीं पर माइकल एंजेलो द्वारा सिस्टिन चौपल की छत पर बनाई अमर पेंटिंग है।
हालांकि वेटिकन सिटी एक समय इटली की राजधानी रोम का हिस्सा था लेकिन 1929 में यह स्वतंत्र देश बना। इसके प्रति श्रद्धा का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन सेना ने रोम पर तो बमबारी की लेकिन वेटिकन सिटी को एकदम सुरक्षित रखा। आप यदि कला प्रेमी है तो महज माइकल एंजेलो की बनाई अमर पेंटिंग की वजह से ही वेटिकन सिटी जाने को तत्पर हो सकते हैं।
जब हम वेटिकन सिटी पहुंचे तो तेज धूप और गर्मी से हाल बेहाल था। पहली बार यूरोप के किसी स्थल पर इतनी लम्बी लाइन में लगना पड़ा । जहां से लाइन में लगे थे यूरोप में पहली बार ही कुछ स्टॉल देखीं जिन पर पानी की बोतल, ज्यूस इत्यादि बिक रहे थे। हॉकर भी लाइन में लगे लोगों को वैसे ही पानी की बोतल सप्लाई कर रहे थे जैसे भारत में कई धार्मिक स्थलों पर देखते हैं। यूरोप में हम जिस भी देश में गए वहां पानी इतना शुद्ध था कि आप कहीं से भी ओक लगाकर पी सकते थे। लेकिन इटली ऐसा एकमात्र देश था जहां पानी की शुद्धता की गारंटी नहीं थी। पानी की बोतल बिकना इसका सबूत थां।
टूर मैनेजर राहुल जाधव ने यहां गाइड की व्यवस्था की थी। लेकिन हजारों की भीड़ में आधी अधूरी जानकारी ही पल्ले पड़ रही थी क्योंकि शोर इतना था कि ईयरफोन लगा होने के बावजूद कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। लेकिन संग्रहालय क्या था महान वास्तुकारों, मूर्तिकारों तथा चित्रकारों ने अनुपम कृतियों से इसे अनमोल खजाने में तब्दील कर दिया । कहा जाता है कि वेटिकन संग्रहालय में विश्व का सबसे महत्वपूर्ण और विशालतम कला संग्रह मौजूद है। जिसमें मिस्र से लेकर यूनान और रोम तक की प्राचीन कला, प्रारंभिक ईसाई और मध्यकालीन कला की उत्कृष्ट कलाकृतियां मौजूद हैं।
स्वागत कक्ष से 16वीं शताब्दी में स्थापित म्यूजियम में प्रवेश करते ही खुले चौक में आदमकम मूर्तियों से सामना हुआ। संगमरमर की आदमकद मूर्तियों को इतनी कुशलता से तराशा गया था कि मर्दों के सिक्स पैक एप तक नजर आ रहे थे। आप एक मूर्ति की बनावट से प्रभावित होते तब तक दूसरी मूर्ति उससे भी ज्यादा प्रभावशाली दिखती। चेहरे के भाव और मुद्राओं से मूर्तियां जीवंत प्रतीत हो रही थीं।समझ नहीं आ रहा था कि क्या-क्या देखें। यहां करीब 24 गैलरी और कक्ष हैं। जैसे जैसे एक से दूसरे कक्ष या गैलरी तक पहुंच रहे थे कुछ न कुछ अजूबा नजर आ रहा था । मुंह से केवल वाह ही निकल रहा था ।
इसी म्यूजियम में अंतिम गैलरी में सिस्टिन चैपल स्थित है। माइकल ऐंजेलो ने करीब पांच साल की कड़ी मेहनत से इसकी छत पर पेंटिंग बनाई है। आश्चर्य इस दुर्लभ कृति से ज्यादा इसको बनाए जाने का है। किस तरह वह खुद को संतुलित कर इतनी ऊंचाई पर स्थित छत पर इस अद्भुत कृति को आकार देते होंगे। यही पेंटिंग इस गैलरी की जान है। हालांकि इसमें ईसाई धर्म के बारे में ही चित्रित किया गया है जिसकी मुझे समझ नहीं है। लेकिन चित्रकारी देखने लायक है।जब यहां से बाहर आ रहे थे तब युवा स्विस गार्ड तैनात मिले। एकदम तने हुए ऐसा महसूस हो रहा था मानो आदमकद मूर्तियों को खड़ा कर दिया गया हो।

इसके नजदीक ही विशालकाय सेंट पीटर बेसिलिका है। आंतरिक माप के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा चर्च है। सेंट पीटर को सबसे पवित्र कैथोलिक तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। इस भव्य चर्च के अंदर की कलाकारी भी इसके नाम के अनुरूप ही उच्च दर्जे की है क्योंकि इसकी डिजाइन में भी माइकल ऐंजेलो समेत इटली के महान वास्तुकारों और कलाविदों का हाथ रहा है।

म्यूजियम और सिस्टीन चैपल में इतना चमत्कारी कार्य देख चुके थे कि सेंट पीटर बेसिलिका का कार्य भी इसी का हिस्सा नजर आया जबकि ऐसा था नहीं। इसकी अपनी विशेषता थी और यहां देखने को बहुत कुछ था। लेकिन राहुल द्वारा तय किया समय हो चुका था और वह भी हमारे साथ थे इसलिए लौटने के अलावा कोई चारा नहीं था। बाहर भी पूरे परिसर का नजारा अद्वितीय था जो आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है।

पेशेवर फोटोग्राफरों के लिए तो यह मनचाही मुराद वाला स्थल है। हमारा योरोप का टूर पूरा हो चुका था और अब करीब दो सप्ताह के मौज मजे के बाद घर लौटने की बारी आ गई थी. रोम से ही हमारी नई दिल्ली के लिए उड़ान थी.