
-भारत से तीन गुना ज्यादा है चीन का रक्षा बजट
-द ओपिनियन-
अपना राजनीतिक व सैन्य वर्चस्व बढ़ाने में जुटे चीन ने एक बार फिर अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह सैन्यकरण के रास्ते पर चलता रहेगा। उसने अपने रक्षाबजट में जबर्दस्त वृद्धि की है। मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार चीन ने अपना रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत तक बढ़ाकर 1,550 अरब युआन यानी 224 अरब डालर कर दिया। चीन ने पिछले साल 7.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,450 अरब युआन का बजट पेश किया था। चीन का रक्षा बजट भारत से करीब तीन गुना अधिक है। चीन का ज्यों -ज्यों रक्षा बजट बढ़ रहा है उसकी आक्रमकता भी बढ़ती जा रही है। चाहे वह भारत चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा हो या दक्षिण चीन सागर चीन ताकत के बल पर एकतरफा फैसला करने का लगातार प्रयास करता रहा है। इसलिए लगता नहीं कि चीन के रवैए में कोई सकारात्मक बदलाव आएगा।
चीन पूर्वी लद्दाख में भारत से लगी सीमा पर आक्रामकता के साथ बैठा है और लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करता रहा है। चीनी विदेश मंत्री गत दिनों जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत आए थे। उनकी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात हुई और बातचीत भी हुई। इसके पहले दोनों देशों के बीच बीजिंग में सीमा संबंधी वर्किंग ग्रुप की बैठक हुई थी। दोनों पक्षों के बीच सैन्य स्तर पर वार्ता के दर्जन भर से अधिक दौर हो चुके हैं लेकिन कोई सार्थक हल अब भी नजर नहीं आता। इससे चीन की मंशा पर शक होना स्वाभाविक है। पाकिस्तान चीन के कर्ज जाल में फंसा है और पाकिस्तान चाहे तो भी वह चीनी पंजे से आजाद नहीं हो सकता। भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन लगातार पाकिस्तान का इस्तेमाल करता रहा है। साफ है उसका बढ़ा हुआ रक्षा बजट भारत के लिए नई चुनौतियां लेकर आएगा।
बढ़ते रक्षा बजट और 20 लाख सैनिकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। चीन अपनी सेना, नौसेना तथा वायु सेना के आधुनिकीकरण पर सबसे अधिक खर्च करने के साथ तेजी से शक्तिशाली बना रहा है। रक्षा खर्च में चीन अमरीका के बाद दूसरे स्थान पर है। चीन ने अपने भारी भरकम रक्षा बजट का यह कहते हुए बचाव किया है कि सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से उसका रक्षा बजट विश्व औसत की तुलना में कम है।
अपने सबसे बड़े दुश्मन साबित होंगे जिनपिंग, सत्ता की सनक से होगा अंत !
अमेरिका की बराबरी करना चाहता है चीन। चीनी सेना का नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं जो शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में चीनी सेना ने अगले कुछ वर्षों में अमेरिकी सशस्त्र बलों के बराबर आधुनिक होने का लक्ष्य तय किया है। एनपीसी के सत्र के मद्देनजर उसके प्रवक्ता वांग चाओ ने शनिवार को चीन के रक्षा बजट में वृद्धि का बचाव करते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के तौर पर देश का रक्षा खर्च वैश्विक औसत के मुकाबले कम है।