‘राजस्थान में आया विदेशी निवेश, ऊंट के मुंह में जीरा है ‘

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प्रतीकात्मक फोटो
-धीरेन्द्र राहुल-
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धीरेन्द्र राहुल
देश में जितना भी विदेशी निवेश आ रहा है, उसमें 52.46 फीसद निवेश अकेले महाराष्ट्र में आया। बाकी में देश के 27 राज्य हैं। पिछली तिमाही अप्रैल से जून 2024 में 1, 34, 959 करोड़ निवेश आया, जिसमें अकेले महाराष्ट्र में 70,795 करोड़ निवेश आया। इस सूची में राजस्थान नौवें नंबर पर है, जहां सिर्फ 311 करोड़ निवेश आया जो उत्तर प्रदेश 370 करोड़ से थोड़ा सा कम है।
इस सूची में बंगाल, बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, और मध्यप्रदेश का तो नाम भी नहीं है।
बहुत पहले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर ने कहा था कि देश में सारा निवेश कोस्टल इलाकों ( समुद्रतटीय राज्यों ) में आ रहा है, जबकि बड़ी आबादी पूर्वी भारत में रह रही है। इसके चलते लोगों को रोजगार के लिए बिहार से उठकर गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जाना पड़ रहा है। 34 साल बाद भी इस स्थिति में बदलाव दिखाई नहीं देता।
विदेश निवेश की राज्यवार सूची देखने से लगता है कि कुछ चुम्बकीय शहर देश में ऐसे बन गए हैं, जो सारा देशी- विदेशी निवेश खींच रहे हैं। इसमें बेंगलुरु ( 19,059 कर्नाटक ), नई दिल्ली (10,788 करोड़ ), हैदराबाद (9023 करोड़- तेलंगाना ),
चेन्नई ( 8325 करोड़- तमिलनाडु ), गुड़गांव (5818 करोड़- हरियाणा), नोएडा-उत्तर प्रदेश और राजस्थान का भिवाड़ी शामिल है। यानी देश में कुछ जगह समृद्धि के टापू उग आए हैं।
इस सूची में कोलकाता, पटना, रांची, रायपुर, भुवनेश्वर बाहर हैं। ब्रिटिशराज में जो बंगाल देश को राजनीतिक,आर्थिक और सांस्कृतिक नेतृत्व देता था, वह अब हर मामले में पिछड़ रहा है।
पिछले दिनों मैंने एक पोस्ट में बताया था कि बंगाल में सिर्फ 14 -15 फीसद बच्चे ही विज्ञान की शिक्षा ले रहे हैं। ऐसे वहां से वैज्ञानिक, डाॅक्टर और इंजीनियर भी आएंगे कहां से?
चिन्ताजनक बात यह है कि देश का असंतुलित विकास हो रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि मोदी सरकार एक्सप्रेस वे, नई रेललाइनों, हवाई अड्डों और पोर्ट के विकास में तेजी लाई है, लेकिन इस सूची में भी बंगाल का नाम कम ही सुनाई देता है। वैसे इन पिछड़े राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर हमेशा से कमजोर रहा है।
प्रशांत शेखर कहते हैं कि बिहार सस्ते मजदूर उपलब्ध कराने का हब बन गया है। अगर थोड़ा बहुत निवेश वहां भी हो तो क्यों बिहार का बेटा गुजरात जाए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
1 year ago

बिहार और उत्तर प्रदेश अन स्किल्ड मजदूरों के थोक केन्द्र हैं यहां से कृषि से लेकर औद्योगिक संस्थानों तक ,देश के अन्य प्रदेशों को जाते हैं.,