
-द ओपिनियन-
कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव अभियान पर हैं। राजस्थान में चुनाव सभा को संबोधित करने के एक दिन बाद राहुल गांधी आज सोमवार को छत्तीसगढ के दौरे पर हैं। छत्तीसगढ़ में उन्होंने आवास न्याय योजना की शुरुआत की और बिलासपुर में आयोजित एक सम्मेलन में राहुल गांधी ने लाभार्थियों के खाते में राशि को ट्रांसफर किया है। इस मौके पर राहुल गांधी और सीएम भूपेश बघेल ने लाभार्थियों से मुलाकात भी की है। राजस्थान की तरह यहां पर भी राहुल गांधी ने ओबीसी आरक्षण और जातीय जनगणना पर अपनी बात को केंद्रित रखा। राजस्थान में भी उनका भाषणा मुख्यतःइन्हीं दो बातों पर केंद्रित रहा। राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान की सरकार को विधायक और सांसद नहीं चलाते हैं। सेक्रेटरी और कैबिनेट सेक्रेटरी चलाते हैं। यही लोग योजना तैयार करते हैं। फिर वह अपना वही सवाल दोहराते हैं जो उन्होंने महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधयेक पर पर चर्चा के दौरान कहा था कि केंद्र सरकार में सचिव स्तर के 90 लोगों में से पिछड़े वर्ग केवल तीन लोग ओबीसी के हैं और यह लोग हिंदुस्तान के सिर्फ पांच परसेंट बजट को कंट्रोल करते हैं। ये सबसे बड़ा सवाल है कि क्या हिंदुस्तान में सिर्फ पांच फीसदी ओबीसी हैं। राहुल महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद से ही ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। संभवतः कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि वे इसके सहारे महिला आरक्षण को लेकर भाजपा की पहल की धार को कुंद कर सकते है। क्योंकि ओबीसी देश का सबसे बड़ा जातीय समूह है। लेकिन यह भी सच है कि सभी ओबीसी जातियां एक समुदाय नहीं है और उनमें सामाजिक स्तर पर भी बहुत अंतर है। अब देखना यह है कि राहुल कैसे ओबीसी वोटों को एकजुट कर भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल कर पाते हैं क्योंकि भाजपा की खुद की चुनावी रणनीति में ओबीसी जातियों को अहम पद दिए गए है। अब देखना यह है कि राहुल गांधी ओबीसी के सवाल पर भाजपा की घेराबंदी कर पाते हैं या नहीं। लेकिन इतना तो साफ है कि अब हर पार्टी की नजर ओबीसी मतदाताओं पर हैै।
दूसरी ओर राहुल गांधी द्वारा रविवार को एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुई है। रविवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश में तो उनकी पार्टी जीत रही है लेकिर राजस्थान में कड़ा मुकाबला है। इसी तरह वह तेलंगाना में भी चुनावी जीत के प्रति आशान्वित हैं। राजस्थान को लेकर उनके बयान पर कुछ लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या राहुल राजस्थान में कांग्रेस की जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है। क्या उन्हें पार्टी में चल रही आतंरिक कलह से हुए नुकसान का अंदाजा है। या फिर उनकी साफगोई है कि उन्होंने वही बात कही दी जो उनके दिल में थी। अन्यथा तो राजनेता नतीजे आने तक कहां अपनी पार्टी की हार की या पिछड़ने की बात स्वीकारते हैं। क्या राहुल गांधी ने अपने इस बयान से राजस्थान के कलहरत नेताओं को सियासी संदेश दिया है?