
-सावन कुमार टॉक-
कोटा। अमेडा बायोलाजिकल पार्क कोटा में विश्व वल्चर अवेयरनेस डे मनाया गया। इस अवसर पर सहायक वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि प्रति वर्ष सितम्बर माह के प्रथम शनिवार को विश्व वल्चर दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य जन साधारण में इस अद्भुत एवं मानव जाति के अत्याधिक उपयोगी गिद्ध की उपयोगिता एवं महत्ता के बारे में जागरुकता लाना है। गिद्धो के नहीं होने पैथोजन्स, बैक्टीरिया, वायरस, अनेको बिमारियों की संख्या में अत्याधिक वृद्धि हो जायेगी। आज पृथ्वी पर गिद्ध सबसे बड़े स्केवेन्जर (Scavenger) सफाई कर्मी है। किन्तु मानव की एक गलत खोज (डाइलोफेनेक Diclofenac ) दवाई जो कि मवेशियों को दर्द कम करने हेतु ही जाती है) से 10 वर्षो में ही ( 1990 से 2000 तक) गिद्ध की तीन प्रजातिया ( लोंग बिल्ड, वाईट- बैड एवं स्लेन्डर बिल्ड वल्चर) 98 से 99 प्रतिशत तक विलुप्त हो गई।

आज गिद्धों के संरक्षण हेतु प्रयास किये रहे है। यह एक बहुत अच्छा संकेत है कि हाडोती में में जवाहर सागर, रावतभाटा, शेरगढ़, भैसरोड़गढ़, रावठा व दरा आदि अनेको स्थानों पर इन शेडयूर्ण प्रथम के संरक्षित पक्षियों का अच्छा रहवास उपलब्ध है एवं इनकी संख्या भी काफी है। इस अवसर पर संस्था के कृष्णेन्द्र सिंह नामा ने कहा कि एक वल्चर लगभग 100 किमी. तक के क्षेत्र में उड़ान भरता है एवं जहाँ भी मृत, सड़ा गला मवेशी का शरीर मिलता है, वहाँ पहुंचकर उसकी – पूर्ण सफाई कर देता है। वल्चर के शरीर में एसिड होता है जो सभी बैक्टीरिया, वाइरस पैयोजन 16 यहाँ तक को गला देता है। वल्चर की उडान के बारे में किरण चौधरी ने बताया कि गिद्द हॉट एयर (Hot air) का प्रयोग करते हुए बड़े आसानी से उड़ान भरते रहते है। आज गिदों की संख्या कम होने से आवारा डॉग मृत मवेशी को खाते है जिसके कारण कुत्तों की मनुष्य को काटने की घटनायें बढ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 50,000 मनुष्यों की मृत्यु आवारा श्वानों के काटने से हो रही है।
आज बच्चों को इस अद्भुद, मैजेटिक जादुई क्षमता रखने वाले पक्षी के बारे में जागरुक करने की आवश्यकता है। जिससे आने वाली पीढिया इस परती को बचाकर अपना और पर्यावरण का सरक्षण कर सकें। आज इस कार्यक्रम में प्रांजल विजयवर्गीय, प्रियंका सुमन, शाईस्ता खान, लसिता गौतम, कृतिका शर्मा, शिल्पा नमो नारायण मीणा, पायल धाकड, आशीष धाकड, शिवान्शु गौतम, विशाल नागर, भगवान सिंह, हरिओम पाटीदार, रोहित मेघवाल, अमन मीणा, सत्येन्द्र जैन सोनू कुमार, लीलाधर सुमन, BSc प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के छात्रों छात्राओं एवं MSC व PHD के छात्र- छात्राओं ने भी भाग लिया। वन कर्मियों में कमल प्रजापति, सुलेन्द्र सैनी, धनराज एवं रेजर महेश शर्मा ने सहयोग दिया।