कुनो में एक और चीता की मौत

-अब तक तीन शावकों समेत आठ चीतों की हो चुकी मौत

भोपाल। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक और चीते की मौत हो गई। यह कुनो में चार महीने की अवधि में चीतों की आठवीं मौत है। नामीबिया से लाया गया उप-वयस्क चीता का शव शुक्रवार की तड़के मिला। कुनो में नए सिरे से चीतों को बसाए जाने के बाद से यह आठवीं मौत है। चीता की प्रजाति को फिर से भारत में बसाने के भारत के संघ् प्रयासों को एक के बाद एक चीतों की मौत से गहरा झटका लगा है।
गत मंगलवार को ही एक व्यस्क चीता अपने बाडे में मृत पाया गया था। उसे नामीबियाई मादा चीता के साथ रखा गया था। तेजस नाम के उक्त चीता का वजन कम था और उसके शरीर में अंदरुनी घाव पाए गए थे। समझा जाता है कि शारीरिक रुप से कमजोर होने के कारण मादा चीता से संघर्ष में उसकी मौत हुई।

निगरानी टीम ने पालपुर पूर्वी क्षेत्र के मसावनी बीट में सुबह साढे छह बजे के आसपास चीता, सूरज को सुस्त अवस्था में देखा। टीम ने उसकी गर्दन के चारों ओर मक्खी देखी और जब उन्होंने करीब जाने की कोशिश की, तो चीता सूरज भाग गया।
निगरानी टीम ने पालपुर स्थित कंट्रोल रूम को चीता की हालत की जानकारी दी। सुबह करीब 9 बजे वन्यजीव चिकित्सा टीम और क्षेत्रीय अधिकारी मौके पर पहुंचे। इसके स्थान का पता लगाने पर, यह मौके पर ही मृत पाया गया।
अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में मौत का कारण गर्दन और पीठ पर घाव होना पाया गया है। मौत के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट शव परीक्षण के बाद वन्यजीव डॉक्टरों की टीम द्वारा दी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर ही मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि कुनो में चीता को बसाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह बहुप्रचारित योजना है। चीता भारत से विलुप्त हो गया था। कुनो में पहले 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को बसाया गया। इसके पांच माह बाद दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। इससे यहां चीतों की संख्या 20 हो गई थी।
मार्च में, नामीबियाई चीता साशा की किडनी की बीमारी से और अप्रैल में, दक्षिण अफ्रीकी चीता उदय की हार्ट फेल के कारण मृत्यु हो गई। कुछ ही सप्ताह बाद, दक्षिण अफ्रीकी चीता दक्ष की नर चीतों के साथ हिंसक मुठभेड़ के बाद मृत्यु हो गई। मार्च में चार चीता शावकों का जन्म हुआ लेकिन इनमें से तीन शावकों की मौत हो गई।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार मई में, सियाया नामक नामीबियाई चीता से पैदा हुए चार में से तीन शावकों की गर्मी, निर्जलीकरण और कमजोरी के कारण एक सप्ताह के भीतर मृत्यु हो गई। चौथे शावक को बचा लिया गया ।

 

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