
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा। लोक संस्कृति और गीत संगीत और नृत्य का अपना ही आकर्षण और महत्व है। पाश्चात्य और फिल्मी संगीत के दौर में भी राजस्थानी लोक संगीत और इसके कलाकार अपने हुनर से दर्शकों को आकर्षित करने में बहुत सक्षम हैं। जहां भी राजस्थानी लोक संगीत के कार्यक्रम होते हैं दर्शकों की भीड उमडती है।

जयपुर का जवाहर कला केन्द्र और उदयपुर में तो इनके नियमित आयोजन होते हैं। कोटा में दशहरा मेला के दौरान इस तरह के आयोजन होते हैं। इसके लए कला प्रेमियों को हमेशा इंतजार रहता है। इसके अलावा समय-समय पर लोक कला से संबंधित कार्यक्रमों में भी इस तरह की कला से रूबरू होने का मौका मिल जाता है।

लोक कला में गीत संगीत के अलावा शारीरिक साधना की भी जरूरत होती है। तेरह ताली का नृत्य भी इसमें एक है। तेरह ताली नृत्य में मंजीरे का प्रयोग बहुत कुशलता से करना होता है। मामली गलती से पूरी लय और ताल बिगडने का भय रहता है। कडी साधना से इस श्रम साध्य कला में पारंगत कलाकार ही इसकी प्रस्तुति देते हैं। लेकिन उनकी प्रस्तुति देख मन प्रसन्न हो जाता है।

दशहरा रंगमंच पर लोकलाकारों की प्रस्तुति को फोटो जर्नलिस्ट अखिलेश कुमार ने अपने कैमरे में खूबसूरती से कैद किया है।

















