-द ओपिनियन-
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गुजरात में लगातार सातवीं बार सत्तारुढ होना तय हो गया है। भाजपा गुजरात में 1995 से विधानसभा का कोई चुनाव नहीं हारी है। भाजपा ने इस बार रिकार्ड जनादेश हासिल किया है।
भाजपा 182 सदस्यीय विधानसभा में पहले ही बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है और 150 से अधिक सीटें जीतने की कतार में है, जो राज्य में एक रिकॉर्ड संख्या है। उसने 1985 में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में 149 सीटों के कांग्रेस के रिकॉर्ड को पीछे छोड दिया है।
उधर, हिमाचल प्रदेश में, कांग्रेस 68 सीटों वाले सदन में बहुमत हासिल करने के बाद सत्ता में वापसी करेगी। कोई आश्चर्य नहीं कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना से हिमाचल में जबर्दस्त नाराजगी थी और विधानसभा चुनाव में यह देखने को मिला है। हिमाचल को सर्वाधिक परम वीर चक्र प्राप्त करने का गर्व किया है। सीएम जय राम ठाकुर के भारी अंतर से जीतने के बावजूद उनके कई मंत्री हार गए।
कांग्रेस का सत्ता में वापसी करने में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वायदा भी कारगर रहा। सेब उत्पादकों और बागियों ने भी भाजपा को नुकसान पहंुचाया।
जनजातीय क्षेत्रों, विशेष रूप से लाहौल और स्पीति, और किन्नौर में चुनावी परिदृश्य में पर्यावरणीय मुद्दे हावी रहे। मतदाताओं ने उम्मीदवारों से नई जलविद्युत परियोजनाओं और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के कार्यान्वयन पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा।