भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित साल की अंतिम मासिक शिवरात्रि आज

मान्यता है कि शिव मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का पूरे दिन जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। जो भक्त इस दिन व्रत करता है, उसे  मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही वह स्वस्थ और समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।

-राजेन्द्र गुप्ता-
राजेन्द्र गुप्ता
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और शिव जी पूजा की जाती है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित ये तिथि शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। प्रत्येक माह में पड़ने वाली ये तिथि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसलिए इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत रखता है उसे शिव जी के साथ माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
पौष मासिक शिवरात्रि की तिथि
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पंचांग के अनुसार, साल 2022 की आखिरी मासिक शिवरात्रि व्रत पौष माह में 21 दिसंबर 2022 दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन व्रत रखकर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से मनोकामना की पूर्ति है।
पौष मासिक शिवरात्रि का पूजा मुहूर्त 
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पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 दिसंबर 2022 को रात में 10 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इसका समापन 22 दिसंबर 2022 को रात 07 बजकर 13 मिनट पर होगा। मासिक शिवरात्रि की पूजा रात में की जाती है इसलिए ये व्रत 21 दिसंबर 2022 को ही रखा जाएगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त रात 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व 
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शिव मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पूरे दिन जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। जो भक्त इस दिन व्रत करता है, उसे  मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही वह स्वस्थ और समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि  
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मासिक शिवरात्रि के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहने और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
यदि घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल, दूध, आदि से अभिषेक करें।
शिव जी को बेल पत्र चढ़ाएं। इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना भी करें।
भगवान भोलेशंकर और मां पार्वती को भोग लगाएं। पूजा के दौरान ”ऊॅं नम: शिवाय” मंत्र का जप करें।
आखिर में भगवान शिव की आरती करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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