
-इंदू मिश्रा-

समय कब किसके रोके रुका है
किसके बांधे बंधा है।
पर हमने उसे दिन सप्ताह महीनों सालों में बांधा है।
ये साल ही हमारा तुम्हारा देश दुनिया का लेखा जोखा रखते हैं।
इनमें ही इतिहास छुपा है सदियों का।
ये साल है जीवन की एक एक सीढ़ी
हम हर साल एक नया पग रखते हैं
ये उसी का जश्न और स्वागत है।
शुभकामनाओं और आशीषों का
आदान प्रदान हैं।
कुछ संकल्पों और विकल्पों को ले आगे बढ़ते हैं।
तो कुछ नाच गा कर खा पी कर करते स्वागत।
कुछ इसी बहाने कर आते यात्रा तीर्थाटन।
जीवन में कुछ नये रंग भर लाते।
नव वर्ष का श्रीगणेश हो मंगलकारी
यही अभिलाषा है हमारी।