
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार को उसके सहयोगी छात्रों के खिलाफ कुछ और मुकदमे दर्ज किए जाकर उनको भी इस प्रकरण की जांच कर रहे विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) के जांच के दायरे में शामिल किया जा सकता है।
हालांकि अब तक एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार और उसके दो सहयोगी छात्रों अर्पित अग्रवाल और ईशा यादव के खिलाफ अधिकारिक तौर पर अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज हुए हैं जिनमें छात्राओं को उत्तीर्ण करने की एवज में अनैतिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाए जाने के आरोप है लेकिन जांच दल के सूत्रों का कहना है कि इन दोनों प्रकरणों की गहनता से जांच और सबूतों की गहन पड़ताल के बाद में नये मामले सामने आने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे हालात में इस प्रकरण को भी विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) की जांच के दायरे में शामिल किया जाएगा।
इस बीच कोटा की अनुसूचित जाति जनजाति न्यायालय ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के इस बहुचर्चित सेक्स स्कैंडल के मामले में गिरफ्तार छात्रा ईशा यादव की जमानत का आवेदन खारिज कर दिया है और यह स्पष्ट कहा है कि उसका आचरण गुरु-शिष्य रिश्तों को लांछित करने वाला है और ऐसे में इस छात्रा को जमानत दिए जाने से अनुसंधान प्रभावित हो सकता है इसलिए उसकी जमानत की अर्जी को खारिज किया जाता है।
छात्रा ईशा यादव को छात्राओं को पास करने के बदले में अस्मत मांगने के आरोपी एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार को सहयोग करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में जमानत के छात्र ईशा यादव के आवेदन पर गत दो जनवरी को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसे अब सुनाया गया है। इस मामले में बचाव पक्ष का कहना था कि 20 दिसम्बर को कोटा के दादाबाड़ी थाने में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के खिलाफ जो प्राथमिक की सूचना दर्ज की गई थी, उसमें आरोपी के रूप में छात्रा ईशा यादव का नाम दर्ज नहीं है। पुलिस ने उसे बाद में एसोसिएट प्रोफेसर के सहयोगी के रुप में नामजद कर गिरफ्तार किया है और इस छात्रा के पास से न हीं कोई परीक्षा के बाद जांच के लिए आई उत्तर पुस्तिकाओं में से कोई भी पुस्तक बरामद की गई है इसलिए उसे जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए जबकि अभियोजन पक्ष ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए कहा था कि यह किसी एक छात्र का मामला नहीं है बल्कि बड़ी संख्या में छात्राओं के खिलाफ किए गए अपराध से जुड़ा हुआ मामला है। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की साख से जुड़े इस मामले में शामिल आरोपी एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार की यह छात्रा ईशा यादव सहयोगी रही है इसलिए उसको जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की एक छात्रा के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के खिलाफ उसे पास करने की एवज में संबंध बनाने की मांग करने की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाने के बाद कोटा में जबरदस्त हंगामा खड़ा हो गया था और विश्वविद्यालय के छात्रों के उपद्रव, तोड़फोड़ करने के बाद बिगड़ती स्थिति और मामले की संगीनता को देखते हुए न केवल एसोसिएट प्रोफेसर बल्कि उसके कथित रूप से सहयोगी छात्र अर्पित अग्रवाल और बाद में ईशा यादव को गिरफ्तार किया गया था और इस समूचे प्रकरण की जांच पुलिस उप अधीक्षक अमर सिंह राठौड़ के नेतृत्व में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) को सौंपी गई थी।
इस बीच विशेष अनुसंधान दल ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से छठे सेमेस्टर की परीक्षा से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किये हैं जिससे कि यह एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार संबंधित रहा था और परीक्षा के बाद जांच के लिए आई कई उत्तर पुस्तिकाओं को गिरफ्तारी के बाद इस एसोसिएट प्रोफेसर के आवास से बरामद किया गया था। उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने में परमार की सहयोगी छात्रा की ईशा यादव मदद करती थी या नहीं, इसका पता लगाने के लिए उसकी हस्तलिपि के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भिजवाए जाएंगे।
एक महिला व्याख्याता ने भी इस बीच इस एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ उसके साथ छेड़छाड़ का एक और प्रकरण दर्ज करवाया हुआ है। हालांकि यह पुराना मामला है जिसमें इस महिला व्याख्याता ने आरोप लगाया है कि इस प्रोफ़ेसर ने उसका हाथ पकड़ कर न केवल छेड़छाड़ की बल्कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव भी बनाया था। इसके बारे में अपने पति को बचाये जाने के बाद जब पति एसोसिएट प्रोफेसर के पास विरोध प्रकट करने गया तो परमार ने उसके साथ भी हाथापाई की थी। इस बारे में तभी राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय को लिखित में शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई थी।