स्त्री की हंसी

pixabay
courtesy pixabay.com

-रामस्वरूप दीक्षित-

ram swaroop dixit
रामस्वरूप दीक्षित

स्त्री की हंसी में
शामिल है
उन सबकी हंसी
जिनके लिए हंसना
एक ऐसा अवसर है
जो हर बार चला जाता चुपके से
उन्हें रोते रहने को छोड़कर

स्त्री की हंसी में
शामिल है
कचरे के ढेर में
जूठन तलाशते बच्चों
देह बेचकर पेट भरने को
अभिशप्त स्त्रियों
दूसरों के लिए अन्न उगाकर
खुद अन्न को तरसते किसानों
पसीने में शरीर का नमक बहाते
मजदूरों से
छीन ली गई हंसी

स्त्री की हंसी में
शामिल है
उदास जंगलों
अनमने पहाड़ों
कलपती नदियों
और खिलने से पहले ही
मसले गए फूलों की हंसी

स्त्री बेसब्री से करती है
हंसने का इंतजार
वह हंसकर उड़ा देना चाहती है
उदासी की चादर
तकलीफों के तिनकों
और दुखों के गुबार को

स्त्री की हंसी में
हंसती हैं वक्त की उम्मीदें

-रामस्वरूप दीक्षित-

मो. 9981411097

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments