
-प्रकाश केवडे-

पूछा हमने झरने से
बहुत खूबसूरत हो
दिलकश हो,मधुर
संगीत सुनाते हो
ठंडक से भरे
तरोताजा हो
हर दिल अजीज हो
आखिर क्या राज है?
एक मुस्कान उभरी
एक लहर मचल गयी
मीठी आवाज में बोला
दोस्त उंचाई से गिरना
चट्टानों से टकराना
बूंद बूंद बिखरना
अपना वजूद खोना
निरंतर बहना इतना
आसान नही एक
झरना बनना।
रचियता प्रकाश केवडे
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