
-शकूर अनवर-

हर दिल का दिलदार ग़ज़ल में।
दुनिया भर का प्यार ग़ज़ल में।।
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पायल की झनकार ग़ज़ल में।
जीवन का श्रृंगार ग़ज़ल में।।
अश्कों का अंबार ग़ज़ल में।
ग़म का कारोबार ग़ज़ल में।।
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झिलमिल करते चाॅंद सितारे।
यौवन का दरबार ग़ज़ल में।।
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इसमें सहरा इसमें समंदर।
और कई विस्तार ग़ज़ल में।।
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फूलों जैसा इसका पैकर*।
ख़ंजर जैसी धार ग़ज़ल में।।
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तंज़* के नश्तर* इसके अंदर।
शब्दों के हथियार ग़ज़ल में।।
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बात मगर सीधी सी कोई।
कहना है दुश्वार ग़ज़ल में।।
तोड़ दे ये दुनिया से नाता।
रूठे जब भी यार ग़ज़ल में।।
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तन जाए जब अबरू* कोई।
बन जाए तलवार ग़ज़ल में।।
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ख़ुसरो, वली, थे इसके शैदा।
जिनका उमड़ा प्यार ग़ज़ल में।।
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मीर भी इसमें दाग़ो जिगर भी।
ग़ालिब की सरकार ग़ज़ल में।।
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फ़ैज़ो फ़िराक़ ने वुसअत* बख़्शी।
सबने किया विस्तार ग़ज़ल में।।
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हिंदी में भी हमने देखे।
दुश्यंती अश्आर ग़ज़ल में।।
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हर मज़हब हर भाषा वाले।
करते हैं इज़हार ग़ज़ल में।।
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मैं भी इसका दीवाना हूॅं।
रहता हूॅं सरशार* ग़ज़ल में।।
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आओ बनायें हम सब “अनवर”।
एक नया संसार ग़ज़ल में।।
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पैकर* चेहरा
तंज़*व्यंग
नश्तर*चीरा लगाने का यंत्र
अब्रू*यानी भवें
वुसअत* फैलाव
सरशार*मस्ती में चूर
शकूर अनवर