
-चांद शेरी-

वो वफा का सिला दे गया,
जाते-जाते दगा दे गया।
मिटता-मिटता वो नक्शे कदम,
मंज़िलों का पता दे गया।
एक चिंगारी शोला बनी,
कौन इसको हवा दे गया।
शहर के लोग ख़ामोश हैं,
बद- ख़बर कौन क्या दे गया।
देवता आज का वो हमें,
इक नया हादसा दे गया।
बेकफ़न लाश पर सरफिरा,
आँसुओं की रिदा दे गया।
‘शेरी’ जीने की देकर दुआ,
वो हमें बद्दुआ दे गया ।
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वाह ????????