
-महेन्द्र नेह-

(कवि, गीतकार और समालोचक)
वासन्ती फूल
बहुरंगी तितलियाँ
और फागुनी हवाऐं
मिल कर इतने इठलाये
कि भूल गये
इस बगिया में
जिन्दगी और मौत की
कशमकश
और कड़ी धूप के बीच
खिल रहे हैं
कुछ उदास पत्ते
नई उमंग के साथ।
(महेंद्र नेह की चयनित कविताएँ पुस्तक से साभार)
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