
-विष्णुदेव मंडल-

(चेन्नई निवासी स्वतंत्र पत्रकार)
चेन्नई। राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) देश भर में आंतकी साजिश रच रहे संगठनों और आंतकी वारदातों में संलिप्त लोगों को किसी बड़ी घटनाओं को अंजाम न दे पाए और मिल रही इनपुट के आधार पर दक्षिण भारत के तीनों राज्य मसलन तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के 40 ठिकानों पर छापेमारी की जिनमें एनआईए को जहां लाखों रुपए नगदी मिले वही कई आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण भी बरामद हुए। जो इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अभी भी आतंकी संगठन और असमाजिक तत्व देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए साजिश रच रहे हं।ै वहीं इसे रोकने के लिए एनआईए पूरे देश में धड़पकड़ कर रही है।
बता दें कि 23 अक्टूबर को कोयम्बतूर के कोटै ईश्वरन मंदिर के समीप कार बम विस्फोट में कार में सवार जमिश मुबीन जो इस विस्फोट में शामिल था की मौत हो गई थी। वहीं मैसूर में 19 नवम्बर को आटो में प्रेशर कुकर में बम लगाया गया था , जिसे किसी सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाना था लेकिन साजिशकर्ता अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए थे।
आतंकवादियों की साजिश थी कि मंदिरों में आए लोगों कीे इस घटना में मौत हो जाए लेकिन खुशकिस्मती थी कि यह मंदिर स्थल से थोड़ी दूर पर विस्फोट हुआ जिनमें किसी अन्य को किसी तरह के नुकसान नहीं पहुंचा। वैसे इस वारदात की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थीे लेकिन आतंकवाद का एंगल मिलने के बाद यह केस सेंट्रल एजेंसी एनआईए को सौंप दिर्या, ठीक इसी तरह का विस्फोट कर्नाटक के मंगलुरू में एक ऑटो रिक्शा में हुआ था। एनआईए इन दोनों घटनाओं जांच आतंकी हमले के साजिश के रूप में कर रही है।
एनआईए के टीम ने बुधवार को तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरूनेलवेली, चेन्नई, नीलगिरी, तिरूवनामलै, तिरूपूर, तिरूचिरापल्ली, तूतिकोरीन, दिंडुगुल, कन्याकुमारी, मईलादुरई, कृष्णागिरी, तेनकासी आदि जगहों पर छापेमारी की वही पडोसी राज्य कर्नाटक के मैसूर और एरनाकुलम में भी छापा मारा गया। इस छापेमारी में एनआईए को आतंकवाद से जुड़े कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और 4 लाख से भी अधिक नगदी की बरामदगी की है।
इस तरह की साजिश पूर्वोत्तर के राज्य असम, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरी राज्यों दिल्ली, राजस्थान एवं मुंबई में भी कई बार नजर आई है।
राजनीतिक एकजुटता हो तो बात बने
यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 से पहले हिंदुस्तान के अधिकांश महानगरों एवं बड़े बड़े शहरों में आतंकवादियों ने घटनाओं को अंजाम देते रहे थे, मुंबई कीे 26-11 की आतंकवादी वारदात आज भी भारतीयों के जेहन में घुम रही है। पिछले दिनों आतंकवाद कीे साजिश में पीएफआई जैसे संगठनों के शामिल होने की सबूत एनआईए को मिले थे। जिन पर कार्रवाई होने पर कुछ राजनीतिक दलों ने आपत्ति दर्ज की थी। जरूरत इस बात की है कि कोई राजनीतिक दल आतंकवाद को किसी धर्म और संप्रदाय से ना जोड़ें। कारण आतंकवाद से देश को पहले ही बहुत कुछ सहना पड़ा है। आतंकवाद देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है, ऐसे में वोटों के राजनीति साधने के चलते आंतकवाद और साजिश में शामिल लोगों पर कार्रवाई करने पर सवाल उठाने के बजाय एकजुटता दिखाएं।