
-गुजिया से लेकर मठरी और शक्कर पारे तक सभी कुछ उपलब्ध है यहां
-एएच जैदी-

(नेचर एवं टूरिज्म प्रमोटर)
कोटा। यदि त्योहारों का आनंद उठाना हो तो कोटा में परकोटे के भीतर के क्षेत्र का भ्रमण कीजिए। शहर कितना भी आधुनिक हो गया हो लेकिन परकोटे के अंदर आज् भी परंपराएं बरकरार हैं। होली पर चाहे होलिका दहन का कार्यक्रम हो या धुलंडी के दिन रंग खेलने का आज भी शहर के अंदरुनी इलाकों में लोग उत्साह से इसमें भाग लेते हैं। यही हाल त्योहार पर प्रयोग किए जाने वाले पकवानों का है। हर त्योहार के अपने पकवान हैं।

यदि आप परंपरागत पकवान बनाने में किसी कारणवश सक्षम नहीं हैं तो नन्द ग्राम पाटन पोल बाजार में आ जाइये। राखी, गणगौर, दीवाली होली आदि त्योहारों पर यहां देशी व्यंजन आपको उचित दर पर शुद्धता के साथ यहां मिलते हैं। यहां मथुराधीश जी का मंदिर है दर्शन के समय भक्तों की भीड़ रहती है।

जो लोग घरों में मिठाईयां व नमकीन नहीं बनाते वो यहां से ले जाते हैं। आज सुबह मैं भगवान दास हलवाई की दुकान पर गया वहां बेसन की बर्फी, मावे व मेवे से भरी गुंजिया, बालूशाही, खुरमे से दुकान सजी थी। इसी तरह विभिन्न प्रकार की नमकीन भी उपलब्ध थी। यह दुकान 55 वर्ष पूर्व की है। हालांकि इनकी नुक्ती काफी लोकप्रिय है लेकिन त्योहारों पर ये देशी व्यंजन भी बनाते हैं। इस बाजार मे ऐसी लगभग एक दर्जन दुकाने हैं जहां व्यंजनों की खरीद के लिए भीड उमडती है