किसका पीतम आया है। किसके जागे भाग हवा।।

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

पानी में इक राग हवा।
गाये बनकर झाग हवा।।
*
दुनिया दारी* त्याग हवा।
अब तो ले बैराग हवा।।
*
मन के अंदर पाप छुपा।
जल के अंदर आग हवा।।
*
काबा काशी तुझ से दूर।
तेरे अच्छे भाग हवा।।
*
डोर नफ़स* की उसके हाथ।
रख़्शे अजल की बाग* हवा।।
*
किसका पीतम आया है।
किसके जागे भाग हवा।।
*
हमको “अनवर” डसता है।
अंदेशों का नाग हवा।।
*

दुनियादारी*सांसारिकता
नफ़स*सांस
रख़्शे अजल* यानी मृत्यु रूपी घोड़ा
बाग*लगाम

शकूर अनवर
9460851271

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