
-चाँद ‘शैरी’-

मंज़िल की जुस्तजू में है इन्सान देखिए
आँखें बिछाए राह में तूफ़ान देखिए
सर पर है धूप और क़दम गर्म रेत पर
ऐसे सफ़र पे छाँव है कुर्बान देखिए
बादल गरज रहे हैं, कड़कती हैं बिजलियाँ
तामीरे – आशियाँ का ये अर्मान देखिए
इस दिल को उस के दर्द की पहचान हो गई
लेकिन वो दर्द दे के है अंजान देखिए
अहले-चमन चले हैं इसे ख़ुद उजाड़ने
‘शेरी’ हरा-भरा ये गुलिस्तान देखिए
चाँद ‘शैरी’ (कोटा)
098290-98530
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