महिला सशक्तिकरण नारी का बलवती होना नहीं

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महिला दिवस

कोटा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के संदर्भ में आयोजित संगोष्टी में राष्ट्रीय कवि डाॅ वीणा अग्रवाल ने कहा है कि महिला सशक्तिकरण का मतलब नारी का बलवती होना नहीं है अपितु महिला की जो प्राकृतिक अवस्था है उसी में ईश्वरीय शक्तियां समाई हुई है।प्रेम सहानुभूति करूणा और दया के आधार पर ही स्त्री को मानसिक तौर पर मजबूत बनाती है। संगोष्टी में मुख्य वक्ता डाॅ इंदु पटेल ने बताया कि महिलाऐ कभी अबला नहीं रही, अबला शब्द को विदा हो जाना चाहिए। ़ऋषि पंरपरा के गीतों से समझा जाए तो महिलाऐ ंहमेशा सबला रही है। महिला अनपढ़ होते हुए भी बहुत ज्ञानी होती थीं। गीतो में विचार भगवान रामकृष्ण के जीवन से लिए गए है। आज की काॅन्वेंट शिक्षा ने शिक्षा का मूलभूत ढांचा बिगाड़ दिया है। उन्होंने अपनी काव्य रचना परिभाषित लोकगीत भी प्रस्तुत किया। अग्रवाल समाज की पदाधिकारी गायत्री मित्तल ने कहा कि महिला व पुरूष एक ही गाड़ी के समानांतर पहिए है। इसी से जीवन संतुलित होता है। पर्यावरणपे्रमी गीता दाधीच ने कहा कि महिला शिक्षा के साथ ही विद्यावान भी बने तो संस्कार आऐंगे। केवल शिक्षा से तो मान प्रतिष्ठा,धन ही कमाया जा सकता है। जीवन तो संस्कार से ही चलेगा जो कि विद्या से आता है। चंद्रवीणा साहित्य कंुज के अध्यक्ष कमलेश कमल ने कहा कि रामचरित्र मानस में कहीं नारी को ताड़ना का अधिकारी नहीं बताया है। राम का चरित्र गहराई के साथ समझने की जरूरत है। शब्दों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने से समस्याऐं खड़ी होती है। शिक्षक अपर्णा ने भी कविता के माध्यम से महिलाओं की स्थिति का वर्णन किया। वरिष्ठ एडवोकेट लीलाधर अग्रवाल ने कहा कि शिक्षित वर्ग में तलाक के मामले बढ़ना चिंता जनक है। इस बारे में व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए।

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