
-शहीद दिवस पर वर्तमान परिदृश्य और भगत सिंह के विचार विषय पर परिचर्चा आयोजित
कोटा। विकल्प जन संस्कृतिक मंच तथा श्रमजीवी विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में छावनी स्थित मांगलिक भवन में 91 वें शहीद दिवस पर वर्तमान परिदृश्य और भगत सिंह के विचार विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें जिले के वरिष्ठ साहित्यकार, बुद्धिजीवी तथा एक्टिविस्ट शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक नरेश विजयवर्गीय थे। अध्यक्षता करते हुए शहर के वरिष्ठ कवि व चिन्तक प्रोफेसर विवेक मिश्र ने कहा कि हमारे देश में व्यापारिक साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई आज भी जारी है। आज भी क्रांति की उतनी ही ज़रुरत है जितनी भगत सिंह के समय में थी।

जनवादी चिन्तक प्रोफेसर संजय चावला ने कहा कि विडम्बना है कि समय के साथ वैज्ञानिक सोच विकसित तो हुई है, लेकिन धार्मिक आडम्बर का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। एडवोकेट दिनेशराय द्विवेदी ने कहा कि आज हमारी न्यायिक व्यवस्था भी मजदूरों, किसानों और गरीब वर्गों को उचित न्याय नहीं दिला पा रही। जन नेता विजय सिंह पालीवाल ने कहा कि भगत सिंह जिन परिस्थितियों से लडे थे वो स्थितियां आज और भी अधिक विकराल हो गई हैं। विजय राघव व नारायण शर्मा ने कहा कि फांसी पर चढ़ने से पूर्व का सारा समय भगत सिंह ने अधिक से अधिक किताबें पढ़ कर बिताया। आज के युवाओं को उनसे यह सीख लेनी चाहिए। सर्वोदय मंडल की रज़िया, किसान नेता दुलीचंद बोरदा तथा विकल्प के अध्यक्ष किशनलाल वर्मा ने भी अपने विचार रखे। शहर के विख्यात संस्कृतिकर्मी शरद तैलंग ने सरफरोशी की तमन्ना ग़ज़ल गा कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके साथ ही ज़मील अहमद कुरैशी, नारायण शर्मा, सलीम अफरीदी, अब्दुल हमीद हैरां, रघुराज सिंह कर्मयोगी, राजेन्द्र जैन, उमर सीआईडी, नागेन्द्र कुमावत, हंसराज चौधरी, भगवती प्रसाद गौतम ने देशभक्ति तथा क्रन्तिकारी भावनाओं से ओत-प्रोत कविताओं का पाठ किया। संचालन महेंद्र नेह ने किया।
भारत की भूमि में लाल झंडा अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है, माओवादी चीन में भी औद्योगिकीकरण तेजी से हुआ है ऐसे में व्यापारिक साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई की बात करना वाम पंथियों की झुंझलाहट प्रकट करता है.शहीद दिवस पर,आजादी की लड़ाई में सर्वस्व न्योछावर करने वालों की शहादत को नमन करना चाहिए