-भारत दौरे पर यूक्रेन की विदेश उप मंत्री झापरोवा
-द ओपिनियन-
यूक्रेन की पहली उप विदेश मंत्री एमिन झापरोवा भारत में चार दिनों की यात्रा पर हैं। झापरोवा सोमवार को नई दिल्ली पहुंची थी। रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत तमाम दबावों के बावजूद रूस के साथ खड़ा नजर आता है। रूस और यूक्रेन दोनों देशों से साल भर से भी अधिक समय से जारी युद्ध के कारण थक चुके हैं और अब उन्हें भी शांति की तलाश होगी। ऐसे में झापरोवा शांति के सूत्र तलाशने भारत आ रही हैं या उनकी यात्रा का कोई और मकसद है, यह बात उनकी भारतीय नेतााओं व अधिकारियों के साथ मुलाकात के बाद ही साफ हो सकेगी। लेकिन एक बात तो साफ है कि भारत रूस के साथ अपने रिश्तों को कमजोर करने का जोखिम नहीं उठा सकता। रूस वह दोस्त है जिसने भारत की हर संकट के समय मदद की। दूसरी बात यह है कि भारत के पास आधे से अधिक हथियार प्रणाली रूसी मूल की है ऐसे में भारत अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। भारत रूस से तेल खरीद रहा है और अमेरिका से हथियार भी, इसे लेकर पश्चिम देशों को दर्द हो रहा है और यूक्रेन भी रूस से भारत के तेल खरीदने से खुश नहीं है लेकिन भारत को अपने राष्ट्रीय हित भी देखने हैं। ऐसे में झापरोव की यात्रा बहुत अहम है। भारत ने युद्ध के लिए रूस की निंदा नहीं की लेकिन यूक्रेन को मानवीय सहायता देने में भी वह पीछे नहीं हटा। और पीएम मोदी बारबार यह कहते रहे हैं कि इस समय में युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है।
पिछले साल फरवरी में रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद झापरोवा की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। देखना है कि झापरोव भारतीय नेताओं के साथ बातचीत में शांति का कोई सूत्र खोज पाती हैं या नहीं। झापरोव अपनी यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा से बातचीत करेगी। इसके अलावा वह विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री से भी मिलेंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार झापरोवा पीएम मोदी को कीव आने का न्योता भी दे सकती है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कई बार बात की है। पीएम मोदी ने कई बार कहा है कि कूटनीति और बातचीत ही इस संघर्ष का एकमात्र हल है। झापरोवा की यात्रा का एक और पक्ष है और वह है यूक्रेन व पाकिस्तान के रिश्ते का वह पहलू जो भारत की चिंता बढ़ा रहा है, वह है पाकिस्तान के यूक्रेन से घातक मिसाइल तकनीक हासिल करने के प्रयास। मीडिया में आई खबरों के अनुसार भारत इस स्थिति से चिंतित है।
पाकिस्तान यूक्रेन को टैंक, मिसाइलें और गोला बारूद बेचकर पैसे कमा रहा है। इसके साथ ही यह आशंका बढती जा रही है कि यूक्रेन ने हथियारों बदले में पाकिस्तान को कहीं मिसाइलों की तकनीक ट्रांसफर नहीं कर दी है। इससे पहले चीन, पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच मिसाइलों की तकनीक को लेकर साठगांठ की बातें भी सामने आ चुकी है। संभव है भारत झापरोवा के साथ पाकिस्तान का रिश्ते को मामला उठाए। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के खबरों के अनुसार पाकिस्तान इस महीने 230 कंटेनर हथियार कराची पोर्ट से यूरोप भेज रहा है। दूसरी ओर ऐसी खबरें भी हैं कि पाकिस्तान यूक्रेन को हथियार बेचकर पैसा कमाने के साथ ही रूस से अपनी हथियार प्रणाली को अपग्रेड करना चाहता है। पाकिस्तान रूस से गेहूं भी खरीद चुका है।