-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
हमारे आसपास जंगलों और खेतों की मेड़ों पर पाई जाए वाली निसोथ की लता को निशोत्र, पिटोहरी,त्रिवृत, तरबल,अरुणा, कलमेशी,कलिंगिका, सुषेणिका और सुशीनी आदि नामो से जाना जाता है। इसे आयुर्वेद में कई रोगों की प्रभावी औषधि माना जाता है।
औषधीय उपयोग –
रेचक गुणों से भरपूर, निसोथ कृमि संक्रमण, संक्रमित घाव, जलोदर, ल्यूकोडर्मा, बुखार, सूजन, एनीमिया, बवासीर, गाउट, ब्रोंकाइटिस और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द को ठीक करने के अलावा मल त्याग को नियमित करने में मदद करता है। इसका उपयोग यकृत विकार, स्प्लेनोमेगाली, हृदय विकार, पेट में गैस फैलाव, हेपेटाइटिस , नशा, पेट के ट्यूमर और पुराने अल्सर के प्रारंभिक चरण में भी किया जाता है।

निसोथ के स्वास्थ्य लाभ
असंख्य लाभों से भरपूर, इस जड़ी बूटी की आमतौर पर काली और सफेद किस्में पाई जाती हैं। इसकी छाल के साथ-साथ सूखी जड़ें औषधीय गुण प्रदान करती हैं।
पुरानी कब्ज से राहत दिलाता है
आयुर्वेद के अनुसार निसोथ में मजबूत विरेचक या रेचक गुण होते हैं जो मल त्याग को बढ़ाने के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं और आसानी से मल त्याग करने में मदद करते हैं।

मोटापे का इलाज करता है
निसोथ अपने डिटॉक्सिफाइंग गुणों के कारण शरीर से अतिरिक्त पानी और हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। ये लाभ शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने और मोटापे का इलाज करने में मदद करते हैं। एडिमा के उपचार में भी यह एक उपयोगी जड़ी बूटी है ।