भला और क्या करेंगे ये मुहब्बतों के मारे। कभी जुगनुओं से खेले कभी गिन लिये सितारे।।

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

भला और क्या करेंगे ये मुहब्बतों के मारे।
कभी जुगनुओं से खेले कभी गिन लिये सितारे।।
*
हाँ तेरे ग़मों को पाकर मेरी उम्र कट गई है।
तेरे ग़म अज़ीज़ मुझको मेरी जान से भी प्यारे।।
*
तुझे हर ख़ुशी मयस्सरतेरे साथ ऐशो- इशरत।
मेरे पास ग़म की दौलत मेरे ऑंसुओं के धारे।।
*
मेरी आरज़ू* यही है मैं उडूॅं क़फ़स* को तोडूॅं।
कोई कब तलक रहेगा यहाँ ज़ुल्म के सहारे।।
*
यहाँ इस तरफ़ मुहब्बत वहाँ उस तरफ़ ज़माना।
मैं फॅंसा हुआ हूँ “अनवर” कोई मुझको पार उतारे।।
*

मयस्सर*प्राप्त होना मिलना
ऐशो इशरत*सुख सुविधा आराम
आरज़ू*इच्छा तमन्ना
क़फ़स*पिंजरा

शकूर अनवर
9460851271

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