क्या ब्रिक्स में पिघलेगी भारत-चीन के बीच की बर्फ !

पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से वापसी के दौरान यूनान की यात्रा करेंगे। वहां वह यूनान के प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। मोदी की यूनान यात्रा को बहुत अहम माना जा रहा है। यूनान और भारत अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक भागीदारी के स्तर पर ले जाना चाहते हैं। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूनान यात्रा होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल में यूनान की यात्रा कर चुके हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और यूनान में कई समझौते होने के आसार हैं। यूनान अपने हवाई अड्डों, बंदरगाहों आदि के निजीकरण में भारत की मदद मांग सकता है।

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मोदी व शी जिनपिंग दोनों होंगे दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर

-द ओपिनियन-

पीएम नरेंद्र मोदी 22 से 24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रहेंगे जहां वे ब्रिक्स यानी ब्राजील,रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका का शिखर सम्मेलन होगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जोहानिसबर्ग में हो रहे इस सम्मेलन में भाग लेंगे। दोनों नेता एक बार फिर किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर आमने सामने होंगे। उम्मीद है वहां दोनों नेताओं की मुलाकात होगी। लद्दाख में सीमा पर जारी तनाव के बीच दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात संभावित है। गत दिनों दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर वार्ता हुई हालांकि उसमें कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। क्योंकि चीन लगातार सीमावर्ती इलाकों में सैन्य ढांचा मजबूत करने में जुटा है। यदि सम्मेलन में शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई तो संभव है कि इन सभी मसलों पर बातचीत हो। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने की उम्मीद नहीं है क्योंकि यूक्रेन युद्ध में उनकी भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने वारंट जारी किया हुआ है। चीन ब्रिक्स का विस्तार चाहता है जबकि भारत इस मसले पर बहुत सावचेत है और वह ऐसे किसी विस्तार के फिलहाल पक्ष में नहीं है। ईरान,अल्जीरिया, मिस्र और इथियोपिया जैसे कई अफ्रीकी देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है। इस साल सम्मेलन में सभी अफ्रीकी देशों समेत कुल 69 राष्ट्रों को आमंत्रित किया गया है। ईरान के राष्ट्रपति रईसी ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी। समझा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच अन्य मसलों के अलावा ब्रिक्स पर भी बातचीत हुई। ईरान ब्रिक्स में शामिल होने का इच्छुक बताया जाता है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से वापसी के दौरान यूनान की यात्रा करेंगे। वहां वह यूनान के प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। मोदी की यूनान यात्रा को बहुत अहम माना जा रहा है। यूनान और भारत अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक भागीदारी के स्तर पर ले जाना चाहते हैं। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूनान यात्रा होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल में यूनान की यात्रा कर चुके हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और यूनान में कई समझौते होने के आसार हैं। यूनान अपने हवाई अड्डों, बंदरगाहों आदि के निजीकरण में भारत की मदद मांग सकता है।
यूनान तुर्की का पड़ोसी देश है और उसके तुर्की के साथ रिश्ते अच्छे नहीं है। तुर्की के भारत के साथ रिश्ते भी असहजतापूर्ण हैं। तुर्की पाकिस्तान का करीबी दोस्त है। इसलिए भारत यूनान के बीच प्रगाढ़ होते रिश्ते काफी अहम मसला है। यूनान के रूप में भारत को एक अहम साझेदार मिल सकता है। भारत यूनान के बीच हाल के समय में रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं।

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