माता पिता को छोटी बड़ी सही सलाह

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– विवेक रंजन श्रीवास्तव-

हेलो पेरेंट्स
लालन पालन
मंजू वशिष्ठ
नोशन प्रेस , चेन्नई
मूल्य २९५ रु , पृष्ठ १५०
चर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल
बढ़ते एकल परिवार , माता पिता दोनो की नौकरी , बच्चों की परवरिश के प्रति शिक्षित पैरेंट्स में अति सतर्कता आदि वे कारण हैं जिनके चलते शायद प्रसिद्ध रेकी ग्रेँड मास्टर मंजू वशिष्ठ को इस किताब को लिखने की प्रेरणा हुई । विदेशों में तो स्कूलों में बच्चे पिस्तौल चलाने जैसे अपराध करते दिखते हैं । इंटरनेट और टी वी पर हिंसा तथा बच्चों की इस सब तक निर्बाध पहुंच ने तथा सायबर मोबाईल गेम्स ने बच्चों की परवरिश के प्रति सजगता जरूरी कर दी है । पब्जी जैसे गेम्स से बच्चे हत्या , आत्महत्या तक करते पाये जा रहे हैं । वर्तमान स्कूली शिक्षा में बेहिसाब प्रतियोगी दौड़ ने बच्चों को मानसिक दबाव में ला दिया है । इस सारे परिवेश ने प्रस्तुत पुस्तक को बहुत प्रासंगिक कर दिया है । पुस्तक में ढ़ेरों ऐसी छोटी छोटी बातें सरल भाषा में चैप्टर्स के रूप में लिखी गई हैं जिनका हमें ज्ञान तो है पर ध्यान नहीं । उदाहरण के रूप में बच्चों को समय दें माता पिता , गलती पर पनिशमेंट जरूरी पर बच्चे को पता होना चाहिये क्यों ? , स्क्रीन टाइम का निर्धारण , मोबाईल का झुनझुना बच्चों को देना बंद करें , बच्चे क्यों बोलते हें झूठ , जैसा खाओ अन्न वैसा रहेगा मन , गलती मानने में हिचक न हो , धन्यवाद कहने में कंजूसी न करें , आचरण से सिखायें , बच्चों की गलतियों पर पर्दा न डालें , किशोरावस्था की विशेष बातें आदि आदि चैप्टर्स में लेखिका ने बहुत सामान्य किन्तु उपयोगी परामर्श दिया है । किताब रीडर्स फ्रेंडली प्रिंत में सचित्र है । संस्कृत सूक्तियां , कवितायें ,प्रचलित कहानियां और उदाहरणो के माध्यम से सामान्य जनो के लिये अपनी बात
बताने में रचनाकार सफल रही है । नये एकाकी माता पिता शिशु की छोटी सी बीमारी से भी घबरा जाते हैं , उनके लिये बच्चों के सामान्य रोग और उन्हें जानने के तरीके पर पूरा एक बिन्दुवार चैप्टर ही है । पैरेंट्स के झगड़ों का बच्चो पर प्रभाव होता है इससे बचाव आवश्यक है । जहाँ एकल परिवार में बच्चों की परवरिश की कठिनाईयां हैं वहीं संयुक्त परिवार में भी कई बार मनमाफिक पेरेंटिंग नहीं हो पाती उस पर भी एक चैप्टर में सविस्तार चर्चा है । कुल मिलाकर अच्ची पेरेंटिंग एक अनिवार्य निवेश होती है । यह समझना सबके लिये आवश्यक है । मेरी दृष्टि में यदि प्रत्येक दम्पति समाज को सुसंस्कृत बच्चे ही दे दें तो समाज से अपराध , महिला उत्पीड़न , स्वयमेव कम हो जाये । इस दिशा में यह पुस्तक पाठको का मार्ग दर्शन करने में सफल है । नव दम्पति को उपहार स्वरूप दिये जाने योग्य किताब है ।
चर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल

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