
-सभी सफल डॉक्टर नहीं होते और सभी डॉक्टर सफल नहीं होते : डॉ.रविन्द्र
– पढ़ाई से लेकर प्लानिंग तक पर की चर्चा
कोटा. जिला प्रशासन की ओर से कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच रहकर लगातार उत्साह और सकारात्मक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए जिला कलक्टर द्वारा कामयाब कोटा अभियान भी चलाया जा रहा है। इन प्रयासों के अंतर्गत शनिवार को जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी एक बार फिर स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे और उनसे खुलकर संवाद किया। डॉ.गोस्वामी एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस के समरस ऑडिटोरियम में पहुंचे और यहां करीब दो घंटे कोचिंग स्टूडेंट्स से बातचीत की।
इस दौरान स्टूडेंट्स ने खुलकर अपने मन की बात कलक्टर डॉ.गोस्वामी के सामने रखी। उनसे लाइफ और पढ़ाई को लेकर सवाल पूछे। उलझनों से बाहर आने के तरीके पूछे।
डॉ.गोस्वामी ने कहा कि लक्ष्य सिर्फ नीट ही नहीं रखें। जीवन में क्या पाना यह सोचें, नीट में क्वालीफाई करना या अच्छी नौकरी पाना लक्ष्य प्राप्त करने के माध्यम हो सकते हैं। लक्ष्य इतने छोटे नहीं होने चाहिए। आप कई आईआईटीयंस को देखते होंगे बड़ी-बड़ी नौकरियां पाने के बाद भी सबकुछ छोड़कर आ जाते हैं, क्योंकि वहां सेटिस्फेक्शन नहीं मिल पाता।
बच्चों के सवाल पर उन्होंने कहा कि जीवन में मेहनत को अपनाना है और नशा व बुरी संगत को छोड़ना है। यह दो काम जिसने किए वो जीवन में कभी असफल नहीं होगा। इसके बाद आपको मेहनत करने की आदत हो जाएगी। आगे बढ़ना सीख जाओगे। याद रखें सभी सफल लोग डॉक्टर नहीं होते और सभी डॉक्टर सफल नहीं होते।
क्या पढ़ाई के लिए शौक खत्म कर देने चाहिए ?
इस सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि कभी नहीं, शौक रहना जरूरी है। हमें समय तय करना चाहिए। यदि खेलना अच्छा लगता है तो कुछ समय निकालें तो रोजाना और नही ंतो सप्ताह में टेस्ट के बाद खेलें। पेंटिंग, मूवीज, लिखना जो भी शौक हो उसे साथ रखें।
मोटिवेट कैसे रहें ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जहां-जहां जो-जो अच्छा मिल जाता है, उसे लिखते रहें और अपने पास रखें, ताकि जब भी देखेंगे तो मोटिवेट हो जाएंगे। ऐसे छोटे-छोटे तरीके अपनाएं मोटिवेट रहने के।
मोबाइल नहीं छूटता ? इस सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि यह समस्या बहुत बड़ी है। हम मोबाइल बहुत देर तक देख लेते हैं और जब छोड़ते हैं तो फिलिंग ऑफ डिस्अपाइंटमेंट आती है। इसलिए लिमिटेड उपयोग करना शुरू करें। मोबाइल ही नहीं हर आदत पर कंट्रोल करना आना चाहिए। मोबाइल यूज करें तो समय निर्धारित करें, आपका दिमाग इतना स्मार्ट होता है कि वो आपको अलर्ट दे देता है कि अब मोबाइल छोड़ना है।
डर से कैसे बाहर आएं ? क्लास में डर नहीं झिझक होती है, हमें लगता है सबके सामने सवाल कैसे पूछेंगे? इंट्रोवर्ड लोगों के साथ समस्या ज्यादा है और स्टडी कहती है कि 50 प्रतिशत लोग इंट्रोवर्ड होते हैं। ऐसे में टीचर्स से अकेले बात करें। क्लास के बाहर पूछें, पार्किंग में पूछ लें। सवाल को साथ लेकर घर नहीं जाएं।
पढ़ाई के लिए समय कैसे तय करें ? याद रखें हमें कुछ समय पढ़ाई करना बहुत अच्छा लगता है, उसके बाद एवरेज और फिर बोरिंग, जो समय सबसे अच्छा लगता है, उस समय में सबसे टफ सब्जेक्ट पढ़ें। तीनों सब्जेक्ट रोज पढ़ें।
हर प्रश्न को एनालाइज करने की कोशिश करें। सवाल क्या है, किस टॉप से लिया गया है, हर सवाल कुछ सिखाता है, तो क्या सिखा रहा है यह देखें।
लास्ट मिनिट रिवीजन के लिए छोटे नोट्स बनाएं। 5-10 पन्नों के हो सकते हैं। हर सब्जेक्ट की अलग से डायरी मेंटेंन करें। परीक्षा के समय यह बहुत उपयोगी साबित होगा।
जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता ? इस पर डॉ. गोस्वामी ने कहा कि रूटीन नहीं सिर्फ एक घंटे का ही प्लान बनाएं, छोटी प्लानिंग करेंगे तो एक्जीक्यूट करने में आसानी होगी। लम्बी प्लानिंग में परेशानी संभव है। लम्बी प्लानिंग में वेरिएशन ज्यादा होते हैं।