
मेरा सपना… 5
-शैलेश पाण्डेय-
फ्रांस की राजधानी पेरिस न केवल अपने एफिल टॉवर बल्कि सांस्कृतिक विरासत और आर्किटेक्चर के साथ अपने परफ्यूम के लिए फेमस है। आपको शहर में हर जगह एक से बढ़ कर एक पर्सियन आर्किटेक्चर के बेहतरीन नमूने को पेश करने वाली इमारतें दिखती जाएंगी। एफिल टॉवर का सफर पूरा करने के बाद हम लोग फ्रांस की प्रमुख परफ्यूम निर्माता कम्पनी के शो रूम पर गए। हालांकि हमें बताया तो यह गया था कि फ्रेंच परफ्यूम कैसे बनता है इस बारे में बताया जाएगाा।

लेकिन वहां केवल चित्रों के माध्यम से समझाया गया कि दो सौ साल पुरानी इस कंपनी में कैसे फूलों को संग्रहित कर परफ्यूम तैयार किया जाता है। जो भी पेरिस आता है यहां का परफ्यूम अवश्य ले जाता है। कीमतें इतनी ज्यादा कि आदमी सोचने को विवश हो जाए। अपने यहाँ तो उक्त कीमत में कई खरीद लें।

कुछ लोगों ने परफ्यूम खरीदा लेकिन हमारे लिए यह कोई आकर्षण नहीं था इसके बजाय हम बाहर आकर आसपास फ्रेच आर्किटेक्चर से कतारबद्ध इमारतों को अपनी आंखों में समाने लगे। रविवार होने से अधकांश दुकाने बंद थीं. इसके बाद हम एक भारतीय रेस़्त्रां में लंच करने और वहां से वर्सेल्स पैलेस गए। वर्सेल्स पैलेस पेरिस से लगभग 19 किलोमीटर पश्चिम में वर्सेल्स में स्थित राजा लुईस द्वारा बनाया गया एक पूर्व शाही निवास है।

वर्सेल्स पैलेस की पार्किंग में हमारी बस के पहुंचते ही करीब आधा दर्जन अश्वेत आ गए। उनके हाथों में एफिल टॉवर की प्रतिकृति समेत कई वस्तुएं थीं जो वहां आने वाले पर्यटकों को बेचते हैं। वे हम भारतीयों को देखते ही नमस्ते और क्या खरीदोगे जैसे हिंदी शब्दों का इस्तेमाल कर प्रभावित करने की कोशिश करने लगे। टूर मैनेजर राहुल जाधव ने पहले ही बता दिया था कि इनसे मोलभाव कर सस्ती चीजें खरीदी जा सकती हैं लेकिन केवल प्रतिकृति ही लेना अन्य वस्तुएं नकली मिल सकती हैं। वे रोलेक्स घडी तक सस्ते दामों में देने का दवा कर रहे थे। खैर उस समय तो उनसे पीछे छुड़ाया क्योंकि हमें वर्सेल्स पैलेस को देखने की जल्दी थी। वर्सेल्स पैलेस फ्रांस में लोकतंत्र की स्थापना से पूर्व सत्ता का केंद्र था और फ्रांस के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटित हुईं। इसमें 1871 में प्रशिया के हाथों युद्ध में फ्रांस की हार के बाद जर्मन साम्राज्य की घोषणा पर हस्ताक्षर शामिल है। यह भी दवा किया जाता है कि विश्व में लोकतंत्र की बुनियाद रखने वाला फ्रांस पहला देश है.

जब हम महल के सामने खड़े हुए तो इसके व्यापक और विराट रुप को देखकर अचंभित रह गए। हजारों पर्यटकों की वहां भीड़ थी। मैंने भारत में कई महल और किले देखे हैं लेकिन इसका क्षेत्रफल और आकार को देखते हुए इस स्तर का मुझे कोई महल जेहन में दूर दूर तक नजर नहीं आया। एक साथ इमारत के पैनोरमा को मोबाइल कैमरे में कैद करना संभव नहीं था इसलिए अलग अलग एंगल से कुछ फोटो लिए। इसके बाद राहुल जाधव ने हमें टूर गाइड कैथरीन से मिलाया। कैथरीन फ्रेंच मूल की आकर्षक और तेज तर्रार महिला थीं। उन्होंने हम सभी को लगाने के लिए ईयरफोन दिया ताकि वह महल के भ्रमण के दौरान जो कमेंट्री करें हम सुन सकें। मुख्य समस्या उनके उच्चारण को लेकर थी। एक तो अंग्रेजी और उस पर फ्रेंच उच्चारण मतलब एक तो करेला उस पर नीम चढ़ा की कहावत चरितार्थ हो रही थी। एक ईयरफोन कम पड़ गया था। ऐसे में एक साथी ने बगैर ईयरफोन के ही काम चलाया। जब कैथरीन की कमेंट्री सुनी और आधी बात भी समझ में नहीं आई तो इस बात ओर संतोष हुआ कि जिसे ईयरफोन नहीं मिला वह ज्यादा अच्छी स्थति में है। ज्यादातर के लिए इसकी कोई उपयोगिता इसलिए भी नहीं रह गई थी कि भीड़ में कुछ समझ नहीं आ रहा था। यह जरूर था कि कैथरीन के साथ बने रहने में यह सहायक हो रहा था। कैथरीन ने हम सभी को लाइन में लगाया क्योंकि जांच पड़ताल के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जा रहा था। सुरक्षा जांच से गुजरने के बाद हम अंदर प्रवेश करने के साथ ही फ्रेंच इतिहास के ऐसे पहलुओं से अवगत होने वाले थे जिसने न केवल फ्रांस बल्कि विश्व इतिहास को प्रभावित किया. इसमें विश्व में पहला लोकतंत्र आंदोलन भी शामिल है।