
-देवेन्द्र यादव-

देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक बरसात ने जगह-जगह तबाही मचा रखी है। हर साल की तरह इस बार संसद का मानसून सत्र चल रहा है। यह मानसून सत्र इसलिए खास है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 समाप्त हुए हैं और लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई है। मानसून सत्र में भाजपा इसलिए खुश नजर आ रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया बल्कि 240 सीटों पर अटका दिया इसके बावजूद अन्य दो दलों के समर्थन के साथ अपनी सरकार बनाने में सफल रही। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इसलिए खुश है क्योंकि एक दशक बाद उसने 99 सीट जीत कर लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता का पद प्राप्त कर लिया।
18वीं लोकसभा के पहले मानसून सत्र में बजट भी पेश किया गया। जब बजट पर चर्चा चल रही थी तब कुदरत ने देश के राजनेताओं को आगाह किया कि सत्र मानसून का है और चर्चा अन्य मुद्दों पर हो रही है। कुदरत ने उत्तर से दक्षिण तक ऐसा कहर बरपाया की कई जगहों पर देश ने खतरनाक तबाही का मंजर देखा।
अभी भी देश में बारिश का कहर जारी है, मगर संसद में मानसून से हो रही तबाही पर नहीं बल्कि अन्य मुद्दों पर चर्चा हो रही है ?
कुदरत का करिश्मा देखो 3 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अपने संसदीय क्षेत्र कोटा के दौरे पर थे और 4 जुलाई को उनके संसदीय क्षेत्र के बूंदी में जबरदस्त बरसात हुई जिसके कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया और सड़के और गलियां नदी और नाले बन गई। लोगों के वाहन पानी की तेज धार में बहने लगे। शायद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कुदरत ने इशारा किया था कि नाम मेरा मानसून सत्र और जोर-जोर से चर्चा हो रही है अन्य मुद्दों पर।
संसद से लेकर सड़क तक कुदरत नवनिर्वाचित सांसदों की परीक्षा लेती नजर आ रही है।
लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी संसद का सत्र छोड़कर केरल के वायनाड पहुंचे जहां भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से भारी तबाही मची है। इस क्षेत्र से राहुल गांधी लोकसभा का लगातार दूसरी बार 2024 का लोकसभा चुनाव जीते थे मगर राहुल गांधी ने वायनाड सीट को छोड़ दिया था क्योंकि वह उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से भी निर्वाचित हुए हुए थे इसलिए उन्हें एक सीट को छोड़ना था।
राहुल गांधी ने वायानाड पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और पीड़ित परिवारों से मिलकर अपनी संवेदना व्यक्त की और घोषणा की की भारी बारिश के कारण बेघर हुए लोगों को वह कांग्रेस परिवार की तरफ से 100 घर बनवाएंगे।
हिमाचल और उत्तराखंड में भी वायनाड जैसे ही नजारे देखने को मिल रहे हैं।
प्रकृति का क्या अलर्ट है इस पर मानसून सत्र में गंभीरता से बहस और चर्चा होनी चाहिए मगर चर्चा हो रही है अन्य मुद्दों पर।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)
फ्रांस के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी से सामना