‘कुकू’ की कूक और ‘राइन फाल्स’ के सौंदर्य ने मोहा मन

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राइन फॉल्स का मनोरम दृश्य. फोटो अजातशत्रु

मेरा सपना… 16

-शैलेश पाण्डेय-

स्टटगार्ट के मर्सिडीज बेंज म्यूजियम के सम्मोहन से निकलने के बाद भूख लगने लगी थी। टूर मैनेजर राहुल जाधव ने स्टटगार्ट में ही एक भारतीय रेस्त्रां में लंच का प्रबंध किया था लेकिन जहां हमारी बस पार्क हुई उससे रेस्त्रां करीब 300 मीटर दूरी पर था। उस समय तो लगा कि रॉबर्ट ने कितनी दूर बस रोक दी है। लेकिन जब रेस्त्रां की ओर बढ़ रहे थे तभी एक जगह मौजूद कुछ विदेशी महिलाओं में से दो ने हमें नमस्ते किया। हमने भी नमस्ते में जवाब दिया लेकिन आश्चर्य हुआ कि एक चीनी मूल की महिला बड़े अदब से हिंदी में अभिवादन कर हमारा हालचाल पूछ रहीं थीं। सभी लोग एक बार ठिठक गए फिर औपचारिक अभिवादन के बाद रेस्त्रां की ओर बढ़ गए लेकिन एक पत्रकार के नाते मेरी उत्सुकता जागी तो उनसे बातचीत करने रुक गया। चीनी महिला का नाम Michelle Lee था और वह कोलकाता में ही पली बढ़ी थीं और साफ सुथरी हिंदी बोल रही थीं। वह शादी के बाद से अपने पति के साथ जर्मनी में रहने लगी थीं। उन्होंने बड़े गर्व से कहा मैं चीनी मूल की इंडियन हूं। मुझे भारतीय होने का गर्व है। मुझे यह सुनकर अच्छा लगा और उनके साथ सेल्फी भी ली। उल्लेखनीय है कि कोलकाता में चाइना टाउन नाम की जगह है जहां अभी भी बड़ी संख्या में चीनी मूल के नागरिक रहते हैं। एक समय चमड़े के काम विशेषकर जूतों के निर्माण और बिक्री तथा दंत चिकित्सा के क्षेत्र में चीनी मूल के लोग बड़ी संख्या में शामिल थे।

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Michelle Lee और उसकी साथी के साथ सेल्फी।

हमारे टूर साथी रेस्त्रां में पहुंच चुके थे इसलिए मुझे भी Michelle Lee से फिर मिलने का वादा कर आगे बढ़ना पड़ा। रेस्त्रां में भोजन के बाद बाहर निकले तो सामने से Maruti Ignis कार आते दिखी तो आश्चर्य हुआ। जिस देश में Mercedes-Benz, Volkswagen, Skoda जैसे उच्च स्तरीय मॉडल हों वहां Maruti Ignis देखकर आश्चर्य हुआ। तभी Maruti Swift भी नजर आ गई। आश्चर्य के साथ खुशी भी हुई कि भारतीय मारूति कार यहां भी प्रचलित हैं। लेकिन बाद में मालूम पड़ा कि मॉडल हमारे यहां मिलने वाले मारूति के ही थे लेकिन इनकी निर्माता जापानी कंपनी सुजुकी है।

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Titisee में कुकू क्लॉक स्टोर का बाहरी दृश्य।

यहां से हमारा सफर दक्षिण पश्चिम जर्मनी के सबसे नैसर्गिक सौंदर्य वाले Schwarzwald क्षेत्र से शुरू होना था। इस क्षेत्र को ब्लैक फोरेस्ट के नाम से ज्यादा जाना जाता है। यहां हमे Titisee में विश्व विख्यात कुकू वॉच का निर्माण का अवलोकन और खरीद करनी थी। यह बहुत ही खूबसूरत वॉच होती है जिसमें हर घंटे पर जितना समय होता है एक कोयल खिड़की से बाहर झांक कर उतनी बार कू-कू करती है।

इंटरनेशल स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हमारे जयपुर स्थित आवास में एक माह रहने आए जर्मन छात्र यूलियान ने ऐसी ही कुकू वॉच हमें गिफ्ट की थी। यह देखने में बहुत खूबसूरत थी लेकिन तब हमें पता नहीं था कि यह इतनी महंगी और अद्भुत तथा विश्व विख्यात प्रोडक्ट होगा। जब हम ब्लैक फोरेस्ट की वादियों के घुमावदार रास्तों और मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हुए Titisee पहुंचे तो यह बहुत ही छोटा कस्बा हमारे किसी भी सामान्य शहर के एक प्रमुख बाजार के बराबर है। यहां कुकू वॉच और अन्य स्मृति चिन्हों की दुकानें तथा रेस्त्रां थे। कुकू वॉच का निर्माण यहां स्थित घरों में ही होता है।

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स्टोर की दीवारों पर सजी कुकू क्लॉक्स।

राहुल हमें कुकू वॉच के प्रमुख निर्माता के शो रूम पर ले गए जहां सेल्समैन ने हमें इसके निर्माण की प्रक्रिया और यह किस तरह काम करती है इसकी जानकारी दी। अब यह कुकू वॉच ऑटोमेटिक भी आने लगी हैं जो आम दीवार घड़ी की तरह सेल से संचालित होती हैं। जबकि परम्परागत कुकू वॉच बैलेंस से संचालित होती हैं। ऑटोमेटिक और परम्परागत वॉच की कीमतों में भी जमीन आसमान का अंतर था। कुकू वॉच स्विट्जरलैंड की परम्परागत chalet style पर आधारित होती हैं। इसका मतलब लकड़ी के बंगले या मकान से होता है। रास्ते में हमें पहाड़ियों पर कुकू वॉच शैली के ही मकान दिखाई दिए थे।

शोरूम में हर साइज और कीमत की वॉच उपलब्ध थीं। हमारे पास यह वॉच होने के बावजूद बेटे अजातशत्रु ने भारतीय मुद्रा में 24 हजार की एक कुकू वॉच खरीदी। जबकि इस वॉच के मुकाबले जयपुर में हमारे घर की कुकू वॉच उससे आकार में दुगुनी होगी। अन्य लेागों ने भी खरीदारी की। इस नैसर्गिक सौंदर्य वाले कस्बे में पर्यटकों की अच्छी खासी तादाद थी और रेस्त्रां में लोग खान पान का आनंद उठा रहे थे। यहां पहली बार शराब की परफ्यूम के आकार की शीशियां देखीं। जब लोगों को इन्हें खरीदते देखा तो उत्सुकता वश पूछताछ की। मालूम पड़ा कि यहां की विख्यात और बहुत कीमती शराब की रिप्लिका हैं। अमीर लोग इन रिप्लिका को अपने कलेक्शन में रखते हैं। लोग स्मृति चिन्ह के तौर पर उपहार देने के लिए भी यह खरीदते हैं।क्योंकि इसमें मेरी रूचि नहीं थी इसलिए कीमत पूछने की जहमत भी नहीं उठाई।

यहां करीब दो घंटे का समय बिताकर हम लोग स्विट्जरलैंड के पहले पड़ाव Rhine Falls के लिए रवाना हुए लेकिन जर्मनी और स्विट्जरलैंड के बॉर्डर पर परेशानी का सामना करना पड़ गया। एक बार तो आगे का दौरा ही खटाई में पड़ने की आशंका महसूस होने लगी। हुआ यूं कि जैसे ही बॉर्डर चेक पोस्ट पर पहुंचे आव्रजन अधिकारियों ने हमारी बस को रोक लिया। जबकि अन्य वाहन मामूली जांच पड़ताल के बाद जाने दिए जा रहे थे। उन्होंने बस कैप्टन रॉबर्ट से ऑफिस में पूछताछ शुरू की। रॉबर्ट पोलैंड के नागरिक हैं इसलिए उन्हें पोलिश के अलावा दूसरी भाषा नहीं आती। इस वजह से उन्हें आव्रजन अधिकारियों को कन्विंस करने में समस्या हो रही थी। वह थोड़ी-थोड़ी देर में बस में आते और कोई न कोई कागज लेकर जाते। ऐसा चार-पांच बार हुआ। हम बस से नीचे उतरकर आपस में आशंका जता रहे थे क्योंकि इससे पहले फ्रांस से बेल्जियम, नीदरलैंड और जर्मनी में प्रवेश कर चुके थे तब किसी ने कोई पूछताछ नहीं की। यहां ऐसा क्या हो गया। पता चला कि स्विट्जरलैंड यूरोपीयन यूनियन का हिस्सा नहीं है इसलिए आव्रजन नियमों में कुछ सख्ती है। क्योंकि नीदरलैण्ड में मादक पदार्थ गांजा का प्रचलन मान्य है इसलिए इस रास्ते मादक पदार्थ की तस्करी की आशंका रहती है। स्विट्जरलैंड की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है इसलिए वह किसी भी तरह के अपराध की गुंजाइश ही नहीं रहने देता और कड़ी पूछताछ इसी कारण थी। खैर करीब आधे घंटे तक चिंतित रहने के बाद हमें स्विट्जरलैंड में प्रवेश की अनुमति मिली। यहां थोड़ी ही देर में Schaffhausen में स्थित राइन फॉल्स पहुंच गए। यह यूरोप का सबसे बड़ा जल प्रपात है।

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राइन फॉल्स में पत्नी नीलम और बेटे अजातशत्रु के साथ। फोटो राहुल जाधव

पहाड़ियों के बीच होने से चारों ओर का दृश्य तो मनोरम था ही दूर से पानी के तेजी से गिरने की आवाज मन मोह रही थीं। सड़क से करीब सौ मीटर नीचे उतरने के बाद रॉइन फॉल्स के करीब पहुंचे और मनोरम दृश्य को दिल दिमाग के साथ मोबाइल कैमरे में भी कैद किया। शाम होने के साथ चारों तरफ का दृश्य और मनमोहक हो रहा था। हमारी टूर टीम में तीन युवा जोड़े थे उनके लिए तो यहां फोटोग्राफी का अलग ही मजा था। जहां जल प्रपात गिरता है उसके आगे यह नदी का आाकर ले लेता है जिसमें बोटिंग की सुविधा भी है। यहां भी रेस्त्रां थे जहां राइन फॉल्स से गिरने वाले जल की लयबद्ध ध्वनि के साथ आप डाइन एण्ड ड्रिंक का लुत्फ उठा सकते हैं। हम धरती के स्वर्ग स्विट्जरलैंड में पहुंच चुके थे और अब तीन दिन तक इस नैसर्गिक सौंदर्य को निहारना था। इसलिए अब सेंटल स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख शहर में पहुंचना लक्ष्य था जहां दो सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण Jungfrau और Titlis glacier park के दीदार करने थे।

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