
मेरा सपना..20
-शैलेश पाण्डेय-
मनमोहक मौसम और हरियाली तथा ऐल्प्स के पहाड़ों के बीच स्विटजरलैंड की सैर अनोखा अनुभव है। ऐसे समय माउंट टिटलिस का सफर सोने पर सुहागा है। हालांकि हम यूरोप की सबसे उंची चोटी युंगफ्रा पर एक दिन पहले ही होकर आए थे और बर्फ तथा तेज शीत हवाओं का अनुभव ले चुके थे ऐसे में एक और माउंटेन पर जाने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा था। लेकिन माउंट टिटलिस के लिए समुद तल से 3020 की उंचाई पर पहुंचने के लिए जिस रोमांच का अनुभव हुआ उसने युंगफ्रा में मिले रोमांच को और बढ़ा दिया।
बस से खूबसूरत वादियों का अवलोकन करते हुए कब मांउट टिटलिस जाने के लिए एंगलबर्ग पहुँच गए पता ही नहीं चला। यहां से हमें पहले गोंडाला राइड (केबल वे) से सफर करना था। जैसे-जैसे केबल कार आगे बढ़ती जाती है चहुं ओर का नैसर्गिक सौंदर्य स्पष्ट नजर आने लगता है। ऊंचाई के रोमांच के बीच नीचे सुन्दर बसावट के घर धीरे-धीरे और छोटे दिखाई देने लगे। हम जिस समय केबल वे में सवार होकर आगे बढ़े हल्की बूंदाबादी होने लगी। इस पर टूर मैनेजर राहुल जाधव ने खुश होकर कहा कि यहां बारिश है तो माउंट टिटलिस पर स्नो का आनंद उठा सकेंगे। प्रत्येक केबल कार पर विभिन्न देशों के ध्वज लगे थे। राहुल ने बताया कि ध्यान देना भारत का तिरंगा भी दिखेगा और रास्ते में यह एक केबल वे में दिख भी गया तो बहुत खुशी हुई।
केबल कार में हम छह जने थे इनमें नीलम जी और टूर साथी हैप्पी कुछ घबरा रहे थे। हैप्पी ने तो अपनी परेशानी बता भी दी। उसने कहा कि मुझे उंचाई से डर लगता है। हम भारत में कई जगह केबल कार में बैठे हैं लेकिन यह सामान्य अनुभव रहा। लेकिन टिटलिस जाने के लिए तो पूरा सफर रोमांच से भरपूर था । ऐसा लग रहा था कि जैसे हम आसमान की ओर बढ़ रहे हैं। विमान से उड़ान भरते समय भी ऐसा अहसास नहीं होता। बीच में स्टेण्ड स्टेशन से आपको केबल कार से उतरकर रोटेयर रिवाल्विंग केबल कार में सवार होना पड़ता है जो आपको माउंट टिटलिस पर पहुंचाती है। इसमें कई लोग सवार होते हैं और पूरी तरह पारदर्शी होता है।
यह धीरे-धीरे गोलाई में घूमता है जिससे आप लगातार हर दिशा के सौंदर्य का अवलोकन कर सकते हैं। जबकि केबल कार में आप अगल-बगल और सामने ही देख सकते है। यह 360 डिग्री में घूमता है जिससे आप हर तरफ के बर्फ से ढके पहाड़ और ग्लेशियर निहार सकते हैं। यह दुनिया की पहली रोटेयर रिवाल्विंग केबल कार है।
टिटलिस पर पहुंचने के बाद चहुँ ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियां , बार-बार आकार बदलते बादल, सूर्य की लुकाछिपी मनोरम दृश्य पैदा कर रहे थे। राहुल जाधव का कथन सही साबित हुआ क्योंकि जैसे ही बाहर खुले में आए हल्की हल्की स्नो गिरने लगी थी। यह दृश्य अभी तक फिल्मों में ही देखा था। टिटलिस पर बड़ी संख्या में भारतीय सैलानी थे। इनमें ज्यादातर पूरे परिवार के साथ आए हुए थे जिनमें ज्यादातर संख्या पंजाबी मूल के लोगों की थी। इसके बाद गुजराती लोग दिखे। लेकिन सभी अपने में मस्त।
स्नो के साथ तेज बर्फीली हवाएं चल रही थीं। थोड़ी ही देर में चेहरा और हाथ सुन्न होने लगे। यहां पर कौवे के जैसे पक्षी भी दिखे लेकिन उन पर तेज शीत का कोई असर नहीं था। स्वेटर, शॉल, गर्म कैप से लदी होने के बावजूद नीलम जी तो ठण्ड से कांपती हुई थोड़ी देर में ही वहीं कमरे नुमा स्थान पर जाकर बैठ गईं लेकिन हम लोग जमीन पर जमी बर्फ का मजा लेने के लिए और ऊँचे स्थान की ओर बढ़े । बर्फ की वजह से फिसलन बहुत थी और एक-एक कदम संभलकर चलना पड़ रहा था। कई लोग फिसलकर गिरे। समस्या गिरने वाले को उठाने की थी क्योंकि जब आपके पैर भी फिसलते हैं तो आप संतुलन नहीं बना पाने के कारण दूसरे की मदद भी नहीं कर पाते।
कई लोग लोहे की छड़ नुमा बेंत लेकर आए थे जो स्नो में सहारा देती है। मैं और अजातशत्रु जितना संभव हुआ वहां तक गए और फिर फिसलन के खतरे को देखते हुए थोड़ी देर बर्फ में मस्ती करने के बाद लौट आए। यहीं पर बॉलीवुड फिल्मों के किंग खान शाहरूख और काजोल के दिलवाले दुल्हनिया फिल्म का कटआउट था जिसके साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। हम भी पीछे नहीं रहे। तेज ठण्ड के बावजूद वहां जैसा नजारा था उसे छोड़कर नीचे आने का दिल नहीं कर रहा था जबकि अभी बहुत कुछ देखना था और राहुल का समय की पाबंदी का निर्देश अलग था।
युंगफ्रा में जहां अल्पाइन सेंसेशन था तो यहां ग्लेशियर केव देखने लायक थी। पूरी तरह कृत्रिम बर्फ से बनाई इस गुफा में हल्की नीली रोशनी रहती है। इस रोशनी में बर्फ की दीवारों पर बर्फ के क्रिस्टल चमकते हैं। गुफा में ठण्ड का आलम ऐसा कि आप कांपने लगते हैं। यहां भी बर्फ में कलाकारी से आकृतियों को उकेरा गया है। एक ही मुसीबत है बर्फ पर फिसलन। यदि थोड़ा भी चूके तो धड़ाम होने में देर नहीं लगती।
यहां का एक अन्य आकर्षण सेलेब्रिटी गैलरी है जहां बॉलीवुड के सितारों के अलावा उन हॉलीवुड के स्टार के फोटो थे जो यहां आ चुके थे। प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स ने हॉलीवुड के स्टार पहचानने में मदद कर दी है. एक शॉप पर परंपरागत स्विस पोशाक में लोग फोटो खिंचा रहे थे। हमने इसके बजाय स्विस पोशाक पहने पुतलों के साथ फोटो खिंचवा ली। हालांकि पुरूष पुतले की ओर से मजेदार चेतावनी लिखी थी कि मेरी गर्ल फ्रेण्ड को छूना मत।
अब लौटने का समय हो चुका था। पुनः रोटेयर रिवाल्विंग केबल कार में सवार हुए लेकिन इस बार बहुत भीड़ हो चुकी थी इसलिए कुछ मजा नहीं आया। लेकिन गोंडाला राइड केबल वे ने कसर पूरी कर दी। नीचे उतरते वक्त ज्यादा मजा आया क्योंकि ऐसा महसूस हो रहा था कि आप तेजी से नीचे की तरफ जा रहे हैं जबकि आते और जाते वक्त रफ्तार एक ही रहती है। इस समय बारिश भी नहीं थी इसलिए चारों तरफ का नजारा साफ नजर आ रहा था। नीचे पहुंचने पर सोविनियर शॉप पर गए लेकिन सभी वस्तुएं बहुत महंगी थी इसलिए खाली हाथ लौटने में ही भलाई समझी। अगले दिन से हमें अगले सफर पर रवाना होना था।