
मेरा सपना… 19
-शैलेश पाण्डेय-
दुनियाभर के पर्यटकों की पहली पसंद बनने के लिए स्विट्जरलैंड प्रयास और इन्फ्रास्ट्रक्चर सराहनीय है। पर्यटन के प्रत्येक स्थल कीे बखूबी साज संवार और देखभाल की गई है। इसका एक उदाहरण आपको ल्यूसर्न शहर में रीस नदी पर बने 14वीं शताब्दी के लकड़ी के पुल को देखकर समझ आ जाएगा। इसका मूल नाम कपेलब्रुक है लेकिन सेंट पीटर चैपल के पास स्थित होने के कारण यह चैपल ब्रिज के नाम से ही अधिक चर्चित है। यह पूर्णतया लकड़ी का बना और छत से ढंका हुआ यूरोप का सबसे पुराना लकड़ी का ब्रिज है।

स्विट्जरलैंड में आज का हमारा कार्यक्रम बहुत व्यस्त था जिसमें ल्यूसर्न के कई स्थलों के अलावा माउंट टिटलिस को निहारना था। हमारी आज की यात्रा की शुरूआत चैपल ब्रिज से हुई जहां पुल के किनारे फल-सब्जी की दुकानें और फिर फिश मार्केट था। फल-सब्जी की दुकानें बिल्कुल हमारे यहां जैसी थीं लेकिन प्रत्येक वस्तु पर दर्ज कीमत और दुकान एक दम साफ सुथरी। यहां तक कि फिश मार्केट के भी यही हाल थे क्योंकि भिनभिनाती मख्खियां नहीं थीं और वहां स्थित रेस्त्रां में लोग सहजता से खान पान का मजा ले रहे थे।
स्विट्जरलैंड की सबसे उत्कृष्ट नदी रीस पर 170 मीटर लम्बा यह चैपल ब्रिज नए से पुराने शहर को जोड़ता है। कहा जाता है कि यह 200 मीटर लंबा था लेकिन नदी के बहाव में बदलाव के कारण इसकी लंबाई कालांतर में घटा दी गई। पानी में होने के बावजूद ब्रिज की लकड़ी को सैकड़ों साल से सुरक्षित रखना आश्चर्यजनक है। हमारे यहां तो आए दिन नए पुल ढहने के समाचार मिलते हैं। ब्रिज के बाहरी हिस्से में रंग बिरंगे फूलों को इस तरह रोपा गया है मानों छोटी-छोटी बगिया हों। इस पर कुछ दुकाने भी हैं लेकिन ये यात्रियों के आवागमन में बाधक नहीं बनतीं। रीस नदी पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर तीन अन्य पुल भी हैं जिन पर वाहन भी संचालित होते हैं लेकिन चैपल ब्रिज पैदल चलने वालों के लिए ही है इसलिए इससे गुजरने का अलग ही अनुभव है।
हमारा अगला पड़ाव स्विट्जरलैंड की विख्यात चॉकलेट की निर्माण प्रक्रिया से रूबरू होना था। अजातशत्रु समेत कुछ लोग यहां जाने के इच्छुक नहीं थे। ऐसे लोग शहर में ही खरीदारी या अन्य स्थल देखने रवाना हो गए। लेकिन यहां जाना क्यों खास था यह अनुभव करने के बाद ही महसूस हुआ। यह अपने ‘स्विस चॉकलेट एडवेंचर’ नाम को सार्थक करता प्रतीत हुआ।
एक बार आप अंदर प्रवेश करते हो तो गो कार्ट नुमा वाहन में एक साथ चार जनो को बिठाया जाता है। इससे आप गोलाकार घूमते हुए मजेदार अनुभव लेते हुए अलग-अलग कक्ष में जाते हैं जहां ऑडियो-वीडियो तकनीक से चॉकलेट की खोज, उत्पत्ति, निर्माण और परिवहन के बारे में विशेषज्ञ जानकारी देते हैं। इसमें कैसे सर्वश्रेष्ठ कोको की खोज, चयन, छंटाई, पिसाई, चीनी और दूध को मिलाने की प्रक्रिया और इसके बाद उत्कृष्ट दर्जे की चॉकलेट निर्माण और हमारे हाथों तक पहुंचने तक की यात्रा का विवरण है। इसका सबसे सुंदर पहलू एक स्थान पर एटीएम की तरह की एक मशीन है जिसमें हाथ डालने पर चॉकलेट मिलती है। हमारे साथ के बालक ने फुर्ती दिखाते हुए दो चॉकलेट लीं लेकिन हमारा नंबर आता तब तक कार्ट आगे बढ़ चुकी थी। लेकिन उसने एक चॉकलेट मुझे दे दी। जब बाहर आए तो भी प्रत्येक जने को उपहार में दो चॉकलेट दी गईं जिनका स्वाद बेमिसाल था। पूरे परिसर को खूबसूरती से सजाया गया था। इसमें विदेशी फिल्मों में प्रयुक्त लम्बे हैंडल वाली मोटर साइकिल भी थी। मैंने प्रत्यक्ष पहली बार देखी तो उसके साथ खड़े होकर फोटो भी खिंचाया।

जब इस एडवेंचर का लुत्फ उठाकर बाहर आए तो सामने ही नदी किनारे खूबसूरत पार्क में लोग पिकनिक मना रहे थे। नन्हें बच्चे झूलों पर खुश थे तो बाग में बतखें और अन्य पक्षी विचरण कर रहे थे। इसी दौरान हमारी टीम के वे लोग भी आ गए जो शहर में घूमने चले गए थे। सभी लोग यहां से ‘लॉयन मोन्यूमेंट’ गए जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। जब हम सभी गलियों से गुजरते हुए गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे तब इसके इतिहास के बारे में पता नहीं था। लेकिन वहां भीड़ दिखी तो माथा ठनका। एक चट्टान पर घायल शेर की विशाल आकृति उकेरी गई है और उसके सामने छोटा तालाब है। इसे बर्टेल थोरवाल्ड्सन की डिजाइन पर 1820-21 में लुकास अहॉर्न ने बनाया था।
कोई देश अपने शहीदों को किस शिद्दत से याद रखता है यह स्मारक इसका उदाहरण है। 1792 में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान मारे गए करीब 760 स्विस गार्ड्स की याद में बनाए इस स्मारक को देखने प्रति वर्ष करोड़ों पर्यटक आते हैं। जब टूर मैनेजर राहुल जाधव ने इसके बारे में बताया और गूगल किया तो पूरी हकीकत का पता चला। हालांकि स्विट्जरलैंड लड़ाई झगड़े से दूर अपने नैसर्गिक और प्राकृतिक सौंदर्य के समान ही सरल और सहज है। ऐसे देश में शहीद सैनिकों का स्मारक देखना बहुत दिल दुखाने वाला था। यहां के होटल, पर्यटन स्थल, दुकान और सार्वजनिक स्थलों पर मौजूद स्थानीय लोगों के व्यवहार से ही आपको नम्रता नजर आ जाएगी।
ल्यूसर्न में तो सड़क पार करते समय चिंता करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि वहां के कार चालक पहले पैदल के नियम को मानते हैं। जिस जगह भी पैदल निकलने का संकेतक होता है कार चालक स्वतः कार धीमी कर लेते हैं और यदि कोई सड़क पार कर रहा हो तो कार रोक देते हैं।
अब हमें लंच के बाद यहां से माउंट टिटलिस के लिए निकलना था जो स्विट्जरलैंड में हमारा आखिरी पडाव था।