खरमास व धनु मलमास आज से होगा शुरू, नहीं होंगे मांगलिक कार्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक वर्ष में दो बार ऐसा मौका आता है, जब खरमास लगता है। एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है।

-राजेन्द्र गुप्ता-
राजेन्द्र गुप्ता
एक महीने के लिए लेगेगी इन कर्यों पर पाबंदी
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धनु संक्रांति आते ही अगले 30 दिन के लिए मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। इस अवधि को खरमास या मलमास भी कहा जाता है। इस साल सूर्य 16 दिसंबर 2022 को धनु राशि में प्रवेश करेंगे और इसी दिन से खरमास प्रारंभ हो जाएगा।
शुरू हो रहा है खरमास
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खरमास के समय में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय में सूर्य देव का प्रभाव कम होता है, इसलिए शुभ कार्य नहीं करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक वर्ष में दो बार ऐसा मौका आता है, जब खरमास लगता है। एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है।
खरमास का प्रारंभ समय 
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पंचांग के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से लेकर मकर राशि में प्रारंभ करने तक का समय खरमास होता है। इस साल खरमास का प्रारंभ 16 दिसंबर दिन शुक्रवार से हो रहा है। इस दिन सूर्य की धनु संक्रांति का क्षण सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर है।
खरमास का समापन समय 
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16 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे खरमास का समापन नए साल 2023 के पहले माह जनवरी में होगा। पंचांग के आधार पर जब सूर्य का धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश होगा तो वह सूर्य की मकर संक्रांति होगी। मकर के प्रारंभ होते ही खरमास का समापन हो जाता है।
14 जनवरी दिन रविवार को रात 08 बजकर 57 मिनट पर मकर संक्रांति का क्षण है। इस समय पर खरमास का समापन हो जाएगा। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के बाद सूर्य पूजा करते हैं। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं।
खरमास में खर खींचते हैं सूर्य देव का रथ
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पौराणिक कथा के अनुसार, खरमास के समय में सूर्य देव के भ्रमण की गति धीमी हो जाती है। सूर्य देव के रथ के घोड़े आराम करते हैं और उनके रथ को खर खींचते हैं। इस बदलाव के वजह से इस माह को खरमास कहा जाता है।
कैसे लगता है खरमास?
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हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं। सूर्य जब धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो इन्हें क्रमश: धनु संक्रांति और मीन संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब धनु व मीन राशि में रहते हैं, तो इस अवधि को मलमास या खरमास कहा जाता है। इसमें शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य
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ज्योतिषियों की मानें तो गुरु देव बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसा होने पर लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ जाता है। इस राशि में सूर्य के कमजोर होने कारण इसे मलमास कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है।
खरमास में नहीं करने चाहिए ये काम
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1. खरमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं।
2. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी वर्जित होती है। इस दौरान बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है।
3. खरमास में नया कार्य या व्यापार शुरू न करें। इससे व्यापार में शुभ फलों के प्राप्त होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
4. इस दौरान द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं, क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है।
5. इस महीने धार्मिक अनुष्ठान न करें। हर रोज किए जाने वाले अनुष्ठान कर सकते हैं।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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