कोटा। गीता सत्संग आश्रम समिति के तत्वावधान में 62 वें गीता जयंती महोत्सव में शनिवार को व्याख्यानमाला के क्रम में गीता के मर्मज्ञ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्रीकृष्ण कांत द्विवेदी जी ने गीता को मानवीय मूल्यों को स्थापित करने वाला तथा आघ्यात्मिक प्रबंधन का ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक शक्तिशाली रावण भी लालच के कारण परास्त हो गया।
गीता भवन में द्विवेदी के सानिध्य में उनकी टीम ने ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन,…..सुमिरन कर ले हरिनाम.. एवं हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ कर युवा श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर ज्ञानद्वार एजुकेशन सोसायटी तथा गीता भवन सत्संग समिति के तत्वावधान में व्याख्यान में मोटिवेशनल गुरू पीएम भारद्वाज तथा हैवी वाटर बोर्ड के पूर्व निर्देशक एन वर्मा ने प्रश्न उत्तरों के माध्यम से छात्रों एवं अन्य श्रोताओ को बताया कि गीता का अध्ययप् पूर्णतया वैज्ञानिक और तथ्यात्मक है। जीवन की परेशानियों को अर्जुन की तरह जीत सकते है। युवाओं को अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रख कर दिल से भगवान से जुडें । उन्होंने कहा कि विश्वास है तो तनाव हो ही नहीं सकता। संयम ही जीवन का मूल आधार है। छात्र छात्राओं ने प्रघान मंत्री के स्वच्छता मिशन के तहत भारद्वाज व वर्मा के आव्हान पर संकल्प लिया। कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष राजेंद्र खण्डेलवाल ,संयोजक भगवती प्रसाद खण्डेलवाल ने ओम कोठारी प्रबंध संस्थान के निर्देशक डॉ अमित राठौड. तथा ज्ञान द्वार सोसायटी का आभार जताया। ज्ञानद्वार सोसायटी की संस्थापक अनिता चौहान ने भी युवा वर्ग को प्रेरक संबोधन दिया। चौहान ने भारद्वाज
– नरसिंह चरित्र लीला से दर्शन मंत्र मुग्ध
वृंदावन के छोटे ठाकुर हरिबल्लभ शर्मा के निर्देशन में रासलीला में नरसिंह चरित्र तथा श्रीकृष्ण द्वारा नानी भाई का भात भरने का दृश्य का संुदर मंचन किया। ठाकुर जी ने बताया कि रासलीला के माध्यम से धर्म का प्रचार और भक्ति का संचार हो रहा है। म्हारा नटवर लाल थाना नचाया नांचूं…आदि भजनों पर श्रोतागणों ने दाद दी। कार्यक्रमों में गीता भवन सत्संग आयोजन समिति के व पदाधिकारियों, धर्म व आघ्यात्म के क्षैत्र में कार्यरत लोगों की भागीदारी रही।