
-एकता शर्मा-

राजस्थान की धरती नही ये,
वीरों की है आत्मा,
इस धरती के कण कण में,
बसता है परमात्मा ।
वीरों की गाथा यहाॅ,
शहीदों की कहानी हैं,
मर गए, मिट गए जो देश के खातिर ,
हर कतरा हिन्दुस्तानी हैं ।
ऐतिहासिक दुर्ग-महल यहां,
योद्धाओं की जुबां को कहते हैं।
शेरों से जाबांज सिपाही,
इस धरती पर रहते है।
अनमोल रत्न इस धरती पर,
अपनी आभा बिखराते हैं ।
दिल में प्रेम देश का लेकर,
बस आगे बढ़ते जाते है।
राजस्थान की माटी नही यें,
चन्दन रज चन्दन हैं ।
इस पावन धरती का,
नतमस्तक हो,
अभिनन्दन है।
अभिनन्दन है।
अभिनन्दन है।
एकता शर्मा,
कोटा ।
राजस्थान।