
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
राजस्थान सांस्कृतिक और कला की दृष्टि से विविधतापूर्ण प्रदेश है। हर संभाग की अपनी लोक कलाएं और परंपराएं हैं। यहां तक कि शादी विवाह और अन्य उत्सव भी इससे अछूते नहीं हैं। हाडोती में शहनाई और नगाड़ा वादन को शुभ माना जाता है।

हाडोती की परंपरागत शादी विवाहों में शहनाई और नगाड़ा वादन कई दिनों तक देखने और सुनने को मिल जाता है।
कभी यह ऐसे समारोह का अभिन्न अंग माना जाता था। शादी के दौरान लगभग तीन दिन तक शहनाई वादक और नगाड़ा वादक मधुर संगीत के माहौल को उत्सव से भरपूर किए रहते थे। जब कान फोडू डीजे का प्रचलन नहीं था तब शादी वाले घर की पहचान शहनाई और नगाड़ा वादन से ही हो जाती थी।

इसके अलावा शादी वाले घर को चित्रों से सजाया जाता था जिसमें बारात के स्वागत, घोडी पर सवार वर और दूल्हे की प्रतीक्षा करती वधु और उसकी सहेलियों के चित्र प्रमुख होते थे। अब यह परंपरा गांवों में ही नजर आती है। इन विधाओं के कलाकार भी मुश्किल से ही मिलते हैं क्योंकि आधुनिकता की होड में इस कला की उपेक्षा कर दी गई है। जबकि डीजे का कान फोड़ू शोर डीजे दिल दहलाऊ शोर कई लोगो के लिए हार्ट अटैक का कारण बन रहा है। विवाह समारोह में दो व्यक्ति डीजे के शोर में एक दूसरे से बात तक नहीं कर सकते। मेहमान मेजबान को बधाई के स्वर तक नही सुना सकते। …आमतौर पर डीजे वाले कम पढ़े लिखे लोग होते हैं जिन्हें डेसीबल का पता ही नही होता की कब कोई आवाज संगीत से शोर बन जाती है।