दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, जीवन व्यवहार की शिक्षा भी स्टूडेंट को दी जाए

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कोटा यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा

-दुष्यंत सिंह गहलोत-

dushayant singh gehlot
दुष्यंत सिंह गहलोत

कोटा। दीक्षांत का सीधा सरल अर्थ दीक्षा का अंत होता है, लेकिन दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं बल्कि नए जीवन की शुरुआत है। यह बात राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मंगलवार को कोटा यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में यूआईटी ऑडिटोरियम में स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कही। कलराज मिश्र ने कहा- यही वह समय होता है जब कुछ स्टूडेंट्स शिक्षा के जरिए सीखते और जानते हैं। उसका व्यवहारिक उपयोग जीवन में करने के लिए आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा- विश्वविद्यालयों को मैं प्रकाश स्तंभ कहता हूं यह वह स्थान होते हैं जहां राष्ट्र की एक समर्थ पीढ़ी तैयार होती है। यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले शिक्षकों का बड़ा दायित्व होता है कि वह स्टूडेंट का सर्वांगीण विकास करें। विश्वविद्यालय शब्द में विश्व शब्द इसलिए जुड़ा है कि केवल अपने आसपास का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के ज्ञान से जुड़े विषयों की शिक्षा यहां हासिल हो।

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उन्होंने सभी से आग्रह भी किया कि यूनिवर्सिटी में निर्धारित कोर्स से जुड़ी शिक्षा के अलावा जीवन व्यवहार की शिक्षा भी स्टूडेंट को दी जाए। हमारे यहां आचार्य का अर्थ है कि जिस के आचरण से दूसरे प्रेरणा प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि विज्ञान का अर्थ होता है जीवन को दिशा देने वाला विशेष ज्ञान। नई शिक्षा नीति पूरी तरह से विद्यार्थी केंद्रित है और इसमें सभी विषयों के साथ वैज्ञानिक ज्ञान प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति के साथ ही भाषाओं के अध्ययन पर जोर दिया गया है।

डिग्रियां पाकर स्टूडेंट के खिले चेहरे

कोटा यूनिवर्सिटी का नौवें दीक्षांत समारोह में डिग्रियां पाकर स्टूडेंट्स के चेहरे खिल उठे। दीक्षांत समारोह में साल 2020 की परीक्षाओं में विभिन्न संकायों व सब्जेक्ट में मेरिट में स्थान प्राप्त करने वाले और पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की गईं। दीक्षांत समारोह का लाइव टेलीकास्ट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट, फेसबुक और यूट्यूब पर भी किया गया। यूनिवर्सिटी के अलग-अलग संकाय में कुल 57 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए गए। गोल्ड मेडल पाने वालों में छात्राओं की संख्या ज्यादा है। 57 में से कुल 42 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वही 15 छात्रों को गोल्ड मेडल मिले। इसी तरह पीएचडी की उपाधियों में भी छात्राएं आगे हैं। कुल 37 पीएचडी उपाधियों में से 25 छात्राओं के नाम है जबकि 12 छात्रों के नाम है। सबसे ज्यादा 18 गोल्ड मेडल साइंस स्ट्रीम में हैं।

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