पढ़ाई के साथ-साथ जीवन की समस्याओं का सामना करना, जीना सीखना भी उतना ही जरूरी

मानवीय जीवन के सम्मान पूर्वक निर्वहन के लिए शिक्षा आवश्यक है और यही कारण है कि नई शिक्षा नीति के तहत विगत गलतियों को न दोहराते हुए भविष्य की नींव को मज़बूत बनाने के लिए राजस्थान सरकार की नई पहल है कि प्रजातांत्रिक तरीके से गहन परामर्श , चिंतन और चर्चा की जाए एवं समाज के लिए उच्च शिक्षा लाभप्रद बन सके।

-राजस्थान मिशन 2030 पर सुझाव

कोटा। राजकीय कला महाविद्यालय कोटा में युवा कौशल एवं विकास प्रकोष्ठ , मतदाता जागरूकता प्रकोष्ठ , राष्ट्रीय सेवा योजना की चारों इकाइयों तथा महाविद्यालय के अन्य घटकों के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान मिशन-2030 के तहत आज दूसरे दिन की कार्यशाला में प्रसिद्ध विधिवेत्ता और प्रोफ़ेसर अरुण कुमार शर्मा मुख्य वक्ता रहे।
अपने उद्बोधन में प्रोफ़ेसर अरुण कुमार शर्मा ने राजस्थान मिशन 2030 पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवीय जीवन के सम्मान पूर्वक निर्वहन के लिए शिक्षा आवश्यक है और यही कारण है कि नई शिक्षा नीति के तहत विगत गलतियों को न दोहराते हुए भविष्य की नींव को मज़बूत बनाने के लिए राजस्थान सरकार की नई पहल है कि प्रजातांत्रिक तरीके से गहन परामर्श , चिंतन और चर्चा की जाए एवं समाज के लिए उच्च शिक्षा लाभप्रद बन सके।
सीमेंटेड एज्युकेशन नहीं होनी चाहिए। इस तरह की शिक्षा में अनेक विरोधाभास है। छात्र शिक्षित तो है परन्तु ज्ञान उसका शून्य है इसलिए नई शिक्षा नीति में इस पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है कि जो विद्यार्थी को ज्ञान हो वह उसमें दिखाई भी देता हो। पढ़ाई के साथ-साथ जीवन की समस्याओं का सामना करना, जीना सीखना भी उतना ही जरूरी है।
प्राचार्य प्रोफ़ेसर सीमा सोरल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम अपने क्षेत्र की कमियाँ बखूबी जानते है अतः हम उच्च शिक्षा में जो सुधार चाहते हैं उन्हे भली-भाँति बता सकते और इसका अवसर प्राप्त हुआ है, उसका उपयोग करते अपनी समस्याओं को व्यवस्था मे किये जा सकने वाले बदलावो का प्रस्ताव तैयार कर के अवश्य भेजा जायेगा।

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इस अवसर पर प्रोफेसर एचएन कोली ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम महाविद्यालय में अत्यंत आवश्यक है क्योंकि भारत का भविष्य कैसा हो इसके लिए उच्च शिक्षा में छात्रों का योगदान महत्वपूर्ण है । शिक्षक और विद्यार्थी दोनो का उत्तरदायित्व है कि व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के प्रति जागरूक हों।
प्रोफ़ेसर मोहम्मद नईम ने इस अवसर पर कहा कि राजस्थान सरकार ने इस प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने और विकसित करने के लिए विचार-विमर्श करने के लिए राजस्थान मिशन 2030 कार्यक्रम आयोजित किया है जिससे वह विजन मिल सके जो इस विकास की योजना को सफल करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
जी. ई. आर. रेशो 2030 तक 50 प्रतिशत प्राप्त करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों मे विशेषज्ञता हासिल करने के प्रयास किए गये है लेकिन सबसे बडी चुनौति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है इसके लिए सभी विशेषज्ञो और छात्रो को तकनीक मे दक्ष होना चाहिए क्योंकि एआई तकनीक बहुत तेजी से दुनिया को बदल रही हैं। नई शिक्षा नीति मे यह अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे लागू किया जाना चाहिए अन्यथा यह भी मात्र खानापूर्ति होकर रह जायेगी।
अर्थशास्त्र के सह आचार्य डॉ अमिताभ बासु ने इस अवसर पर राजस्थान की अर्थव्यवस्था के विकास हेतु आवश्यक सुझाव प्रस्तुत किए। डॉ विवेक शंकर ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक सुधारों की ओर संकेत दिया।

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छात्रा उज्ज्वला ने इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेमेस्टर सिस्टम में केवल परीक्षाएं हो पारही है और विद्यार्थी का ध्यान परीक्षा पास करने, फाइल बनाने और प्रायोगिक कार्य करने में रहता है। उस पर बहुत दबाव रहता है जो नहीं होना चाहिए। छात्र रविकांत ने कहा कि महाविद्यालय में पुस्तकालय की व्यवस्था बहुत उच्च स्तरीय होनी चाहिए उसके बिना अध्ययन करने में कठिनाई होती है।छात्र कुणाल शर्मा ने कहा कि छात्रों को भी शिक्षा के लिए रुचि जाग्रत करनी चाहिए। पढ़ाई को स्किल बेस्ड होना चाहिए।
मंच संचालन प्रोफ़ेसर विवेक मिश्र ने किया। इस कार्यक्रम मे प्रोफेसर शालिनी भारती, प्रोफेसर दीपा चतुर्वेदी, प्रोफ़ेसर सीमा चौहान सहित सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे और विद्यार्थियो से विचार-विमर्श किया। छात्र छात्राओं ने अत्यंत उत्साह से भाग लिया।

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