बच्चों के शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए नई पहल

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेने का निर्णय

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जयपुर। शिक्षा विभाग ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लेने का निर्णय किया है। इस पद्धति में बच्चों को पिछली कक्षाओं के सवाल भी पूछे जाएंगे। इसके बाद आए अंकों के आधार पर प्रमाण पत्र तैयार किए जाएंगे। इसका कारण एक ही कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों का लर्निंग लेवल एक जैसा नहीं होता है। यहीं वजह है कि एक साथ पढ़ने वाले बच्चों के अंक भी समान नहीं आते हैं। कमजोर बच्चा कक्षा में शर्मांदगी भी महसूस करने लगता है। बच्चे की इस कमजोरी को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने यह निर्णय किया है।

क्षमता आधारित टेस्ट
राजस्थान के प्रत्येक सरकारी स्कूल में इस साल कक्षा 3 से 8 तक के सभी बच्चों का पहले अंग्रेजी, हिंदी और गणित में कॉम्पिटेंसी बेस्ड ( क्षमता आधारित ) टेस्ट लिया जाएगा। फिर उनकी कॉपियों की जांच आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कर उनके कॉम्पिटेंसी रिपोर्ट कार्ड्स बनाए जाएंगे। इस समय प्रदेश के लगभग 65 हजार स्कूलों में कक्षा 3 से आठ तक लगभग 50 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

शिक्षकों के लिए एप तैयार किया जाएगा
प्रति वर्ष तीन बार बच्चों की कॉम्पिटेंसी बेस्ड परीक्षा ली जाएगी। यानी प्रत्येक परीक्षा में लगभग 1.5 करोड़ आंसर शीट्स और पूरे वर्ष में लगभग 4 करोड़ आंसर शीट्स एआइ से जांची जाएगी। इस परीक्षा में बिहाइंड ग्रेड कॉम्पिटेंसी के सवाल भी पूछे जाएंगे, यानी कक्षा 5 की परीक्षा में कक्षा 3 और 4 के सवाल भी पूछे जा सकते हैं। ताकि मालूम पड़ सके कि बच्चा अपनी क्लास के लेवल से कितना पीछे है। कॉपी चेक होने के बाद बच्चों को कॉम्पिटेंसी बेस्ड रिपोर्ट कार्ड शिक्षक-अभिभावक बैठक में दिए जाएंगे। साथ ही परिणाम के आधार पर आगे की कक्षा में शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों के लिए एप तैयार किया जाएगा।

इसलिए किया जाएगा इस पद्धति का उपयोग
इस पद्धति का उपयोग इसलिए करने का निर्णय किया गया है, ताकि प्रत्येक बच्चे को अपनी क्लास के लर्निंग लेवल (शैक्षिक स्तर) का पता चल सके। क्योंकि एक बड़ा कारण है कि शिक्षक हर बच्चे की शैक्षिक क्षमता और उसके स्तर को एक सामान समझते हैं। कक्षा में जो विद्यार्थी बैठा है, उसको एक ही गति से एक ही चीज़ पढाई जाती है। जबकि कक्षा में अलग-अलग लेवल के विद्यार्थी अध्ययनरत होते हैं। इसीलिए आवश्यकता थी कि एक्सपर्ट कॉम्पिटेंसी बेस्ड प्रश्न पत्र
बनाए जाएं और फिर उनका सामान्य मूल्यांकन हो सके।

लर्निंग लेवल डाटा का इस्तेमाल कर पाएंगे
एआइ आधारित परिणाम के बाद यह पहली बार होगा कि लर्निंग लेवल के डाटा का इस्तेमाल कर पाएंगे। साथ ही एप के माध्यम से शिक्षक नजर रख सकेंगे कि उनकी कक्षा में बच्चे इस कॉम्पिटेंसी में संघर्ष कर रहे हैं या फिर थोड़ा कमज़ोर हैं। इन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। – गौरव अग्रवाल, शिक्षा निदेशक

सात प्रिंसिंपल बदले
शिक्षा विभाग में स्थानांतरण की ताजा सूची में शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने प्रदेश के सात प्राचार्यों के स्थानांतरण के आदेश जारी किए हैं। सात प्राचार्य में से पांच का सीकर तथा दो का अजमेर स्थानांतरण किया गया है। संबंधित अधिकारियों को कार्यग्रहण तथा कार्य मुक्ति शाला दर्पण के माध्यम से की जाएगी। इसके अलावा जिनका दो साल का परिवीक्षाकाल पूरा नहीं हुआ है, उन्हें कार्य मुक्त नहीं किया जाएगा।

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