
कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से फिर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए अघोषित रूप से आम आदमी पार्टी का इस्तेमाल करेंगे। और इस पर नजर रखना ही कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि जहां-जहां लगता है कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही है वहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस से समझौता नहीं करती है बल्कि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती है जिससे कांग्रेस को भारी नुकसान होता है
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी की दिली तमन्ना थी कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हो। लाख कोशिश करने के बावजूद, दोनों पार्टियों के बीच में चुनावी गठबंधन नहीं हो सका। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा करना शुरू कर दिया।
कांग्रेस और आप पार्टी का गठबंधन क्यों नहीं हो पाया इसकी असल वजह क्या है, यदि पंजाब पर नजर डालें तो, इसकी असल वजह पंजाब है। जहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा को हराकर पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। पंजाब में सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनने की उपलब्धि हासिल हुई थी।
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार इसलिए बनी क्योंकि वहां सत्ताधारी कांग्रेस के नेताओं के बीच कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ था। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कुर्सी की लड़ाई, इस कदर बढी की, पंजाब के दोनों नेता हाई कमान के लिए चुनौती बन गए। चुनौती इतनी बड़ी थी कि हाई कमान ने एक दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, वहीं नवजोत सिंह सिद्धू भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के पद को नहीं संभाल पाए। नतीजा यह निकला की राज्य में ना तो कांग्रेस अपनी सरकार को संभाल पाई और ना ही भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बना पाई और ना ही अकाली दल सरकार में वापसी कर पाया। एक नई पार्टी ने सभी पार्टियों को चुनाव में मात देकर पहली बार अपनी सरकार बनाई। शायद यही मुगालता आम आदमी पार्टी के नेताओं को हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर है, क्योंकि हरियाणा में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। कांग्रेस की स्थिति मजबूत है मगर पंजाब की तरह हरियाणा में भी मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के नेताओं के भीतर विवाद है।
मगर हरियाणा में कांग्रेस के लिए सुखद बात यह है कि हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस हाई कमान को वैसी धमकी नहीं दे रहे हैं जेसी धमकी पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह दे रहे थे। बल्कि हुड्डा तो हाई कमान को विश्वास दिला रहे हैं कि हमें किसी से भी गठबंधन करने की जरूरत नहीं है। हम बगैर गठबंधन के हरियाणा में सरकार में वापसी करेंगे। क्या हुड्डा के कारण हरियाणा में कांग्रेस का आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं हुआ, यह भी एक सवाल हो सकता है, क्योंकि हुड्डा नहीं चाहते थे कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को अधिक सीट दे।
हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हुआ लेकिन अब कांग्रेस के रणनीतिकारों के सामने चुनौती है आम आदमी पार्टी को समझने की। यदि हरियाणा में आम आदमी पार्टी भले ही पंजाब की तरह हरियाणा में अपनी सरकार नहीं बन पाती है लेकिन उसे उम्मीद से ज्यादा सीट मिलती है तो, कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से फिर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए अघोषित रूप से आम आदमी पार्टी का इस्तेमाल करेंगे। और इस पर नजर रखना ही कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि जहां-जहां लगता है कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही है वहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस से समझौता नहीं करती है बल्कि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती है जिससे कांग्रेस को भारी नुकसान होता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)