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-कृष्ण बलदेव हाडा-
काेटा।राजस्थान के कोटा जिले में संक्रामक रोग लंपी से पीड़ित गायों की संख्या का आंकड़ा तिहाई के पार पहुंच गया है और अब तो जिले के लगभग सभी उपखंड क्षेत्रों में लंपी रोग से संक्रमित गायों के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है लेकिन पशु चिकित्सा विभाग अभी तक गायों को लंपी वायरस के संक्रमण से बचाने एवं संक्रमित गायों का इलाज करने के प्रति सजगता नहीं बरत रहा है। कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गोशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू का तो यहां तक आरोप है कि कोटा के मोखापाड़ा में स्थित संभाग का सबसे प्रमुख पशु चिकित्सालय कारों से लाए जाने वाले संभ्रांत वर्ग के कुत्ते-बिल्लियों के इलाज करने का केंद्र बनकर रह गया है क्योंकि वहां वरिष्ठ चिकित्सकों और कम्पाउंड़रों को इन पालतू जानवरों का उपचार करने के लिए घरों तक जाकर इलाज कर मोटी कमाई का रास्ता मिल जाता है। केवल कनिष्ठ चिकित्सक, कम्पाउंड़रों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही काफी हद तक यहां लाई गई लाई जानेवाली बेसहारा छोड़ी गई गायों-सांडों और घायल अवस्था में लाए गये स्ट्रीट डॉग का इलाज करने में रुचि दिखाते हैं।

गायों के इलाज में लापरवाही से इनकार

इसके विपरीत पशु चिकित्सालय और पशुपालन विभाग के आधिकारिक सूत्र यह तो स्वीकारते हैं कि कोटा जिले में लंपी वायरस से संक्रमित गायों की संख्या तिहाई का आंकड़ा पार कर चुकी है लेकिन इस आरोप से इनकार करते हैं कि कोटा जिले में लंपी वायरस से संक्रमित गायों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है और सूत्र दावा करते हैं कि कोटा में लंपी वायरस से बचाव के लिए राज्य स्तर पर जयपुर से भेजे गए गॉट पॉक्स के टीके से व्यापक पैमाने पर टीकाकरण किया जा रहा है। अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि टीकाकरण के मामले में किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। कोटा संभाग में कोटा जिले में 64 हजार 779, झालावाड़ में 84 हजार 636, बारां जिले में 84 हजार 383व बूंदी जिले में 64 हजार 158 गायों का टीकाकरण किया जा चुका है और टीकाकरण का सिलसिला आज भी जारी है। पशु चिकित्सालय की चल टीमें भ्रमण करके गोवंश के टीके लगा रही है।

जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा

कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गोशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह का आरोप है कि कोटा नगरीय सीमा में बेआसरा छोड़ी गई गायों सहित अन्य मवेशियों को निगम की किशोरपुरा और बंदा-धर्मपुरा की गोशाला में लाया जाता है और पशु चिकित्सालय से भी लावारिस, बीमार मवेशी किशोरपुरा गोशाला भेजे जाते हैं और चिकित्सालय की टीम गोवंश के इलाज के लिए यहां पहुंचती भी है, लेकिन उनके पास केवल वही दवाइयां होते हैं जो लंपी पीड़ित गोवंश के लिए उपयोग में लाई जा सकती हैं, जबकि गोशाला में तो घायल मवेशियों सहित गर्भवती, अन्य बीमारी से ग्रसित मवेशी भी रखे जाते हैं और पहले से ही रखे भी जा ही रहे हैं लेकिन ऐसे मवेशियों के इलाज के प्रति पशु चिकित्सालय अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है। जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोटा नगर निगम की किशोरपुरा और बंदा-धर्मपुरा की दोनों ही गोशालाओं में या तो नियमित एवं सामान्य उपचार के उपयोग में आने वाले ज्यादातर दवाएं उपलब्ध नहीं है और जो थोड़ी दवाइयां इन दोनों गोशाला में उपलब्ध है,वह यहां रखे गए मवेशियों के हिसाब से जरुरत को पूरा करने के लिये नाकाफी है। इस बारे में उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों और उच्च पदों पर आसीन जनप्रतिनिधियों को सुझाव दिया हुआ है कि मवेशियों के इलाज के लिए फ़ुटकर दवाओं की खरीद की बजाय सभी आवश्यक दवाइयां किसी सरकारी एजेंसी के जरिए सीधे बल्क में निर्माता कंपनियों से खरीदी जाए ताकि निगम को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध हो सके लेकिन बिचोलियों के दबाव में इस सुझाव पर अमल नहीं किया जा रहा है।

राज्य सरकार पर लंपी रोग से पीड़ित गोवंश की उपेक्षा करने का आरोप लगाया

जितेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि पशु चिकित्सा विभाग लावारिस अवस्था में मिले मवेशियों और घायल पशुओं की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है। वह इलाज के बाद इन मवेशियों को गोशालाओं में भेज देते हैं जहां बाद में भी उनका इलाज किया जाता रहता है लेकिन विभाग इन मवेशियों को अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं है जबकि कोटा में मोखापाड़ा का पशु चिकित्सालय संभाग का सबसे प्रमुख पशु अस्पताल है। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री और कोटा जिले में रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक मदन दिलावर ने राज्य सरकार पर लंपी रोग से पीड़ित
गोवंश की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। श्री दिलावर ने कहा कि कोटा संभाग में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में लंपी संक्रमण की रोकथाम और संक्रमित गायों के उपचार के लिए समुचित बंदोबस्त नहीं किए जा रहे हैं। पूरे प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में पशु चिकित्सकों सहित अन्य स्टाफ की बड़ी कमी है जिसके कारण गोवंश को समय रहते इलाज नहीं मिल पा रहा है और उन्हें अपनी जान गवानी पड़े रही है। गो माता की यह स्थिति बहुत ही दुर्भाग्यजनक है और इसे शामिल सहन नहीं किया जाएगा।

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