ये फैसले का वक़्त है तू आ कदम मिला…

whatsapp image 2024 10 04 at 16.47.55
शंकर लाल चौधरी संबोधित करते हुए।

-वामपंथी एकता से ही सांप्रदायिक, फासीवादी व अधिनायकवादी शक्तियों को परास्त किया जा सकता है

कोटा। भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) की राजस्थान राज्य कमेटी द्वारा शुक्रवार को शोपिंग सेंटर स्थित लाला लाजपतराय भवन में वाम लोकतान्त्रिक एकता: हमारे समय की सबसे बड़ी आवश्यकता विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में बड़ी संख्या में हाडोती अंचल के वामपंथी, लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता एवं प्रगतिशील विचारकों, नागरिकों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, दलित एवं महिला संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया.

कार्यक्रम का आरम्भ नाट्यकर्मी नारायण शर्मा, नंदकिशोर तिवारी  तथा जनकवि हंसराज चौधरी के ‘ये फैसले का वक़्त है तू आ कदम मिला’ जैसे एकता का आवाहन करने वाले क्रन्तिकारी गीतों से किया गया. गीतों के माध्यम से सन्देश दिया गया कि समाज को जोड़ने वाली ताकतों को एक साथ आकर समाज में सार्थक हस्तक्षेप करना होगा.

मेहनतकश जनता को अभी भी सच्ची आज़ादी नहीं मिली: पंजाब से संघर्ष की मसाल लें

विषय प्रवर्तन करते हुए पंजाब से आये पीबी सदस्य किरनजीत सिंह सेखों ने कहा कि आज़ादी के बाद से ही हमारे देश के मजदूरों, किसानो तथा मेहनतकश लोगों की दुश्वारियों में कोई कमी नहीं आई है. 2014 में पिछली सरकार की नाकामियों की नब्ज़ पकड़कर जनता को अच्छे दिनों का दिवास्वप्न दिखा कर वर्तमान सरकार सत्ता में आई. लेकिन मोदी-शाह की सरकार ने उम्मीदों के विपरीत लोकतान्त्रिक अधिकारों का दमन करते हुए सभी संवैधानिक संस्थाओं को अपने कब्ज़े में ले लिया. खेती किसानी को लाचार अवस्था में पहुँचाने के उद्देश्य से तीन काले कृषि क़ानून लाये गए. मजदूरों ने लम्बे संघर्ष के बाद अपने हक में कानून बनवाए थे उन्हें ही ख़त्म कर दिया गया. उन्होंने कहा कि वामपंथियों पार्टियों के सार्थक साझा प्रयासों से ही पिछले लोकसभा चुनावों के परिणामों से सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति में कुछ हद तक लगाम लग सकी है. वामपंथी पार्टियों के सार्थक प्रयासों से ही बीजेपी का 400 पार का नारा सफल नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि तानाशाही का मुकाबला मिलकर ही किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि व्यापक एकता की शुरुआत किसान आन्दोलन के दौरान हुई जब पंजाब में वामपंथी ताकतों ने मिलकर किसान आन्दोलन चलाया जो पूरे देश के लिए मिसाल बनी.

वामपंथी एकता से ही सफलता संभव

माकपा के जिला सचिव दुलीचंद बोरदा ने कहा कि बिना वामपंथी एकता के सांप्रदायिक, फासीवादी व अधिनायकवादी शक्तियों को परास्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने अमरीकी साम्राज्यवाद को दुनियां का सबसे बड़ा आतंकवादी बताया. भाकपा (माले) के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि देश को वर्तमान स्थित में लाने के प्रयास पिछले सौ वर्षों से किये जा रहे थे. पिछली यूपीए सरकार में भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद अंतरराष्ट्रीय कोर्पोरेट की मदद से जनमानस में व्याप्त व्यापक विरोध को भुनाते हुए ये शक्तियां सत्ता में आई. अब ये सांप्रदायिक विभाजन के माध्यम से ही सत्ता में बना रहना चाहते हैं. उन्होंने वामपंथियों के बीच विमर्श को बढावा देने का आवाहन किया. सर्वोदय मंडल के फतेहचंद बागला ने कहा कि जिस तरह छोटी छोटी नदियाँ मिल करके सागर की ओर जाती हैं वैसे ही सभी वामपंथी दलों को एक साथ आ जाना चाहिए. लोकतंत्र बचाओ आन्दोलन समिति के अध्यक्ष अजय चतुर्वेदी ने कहा कि समाज में लोकतान्त्रिक क्रांति लाने में अगुवाई केवल वामपंथी पार्टियाँ ही कर सकती हैं. भाकपा के तारा सिंह सिद्धू ने कहा कि आज पूरी दुनियां में दक्षिणपंथ हावी है. श्रीलंका के चुनाव परिणाम हमें हौसला देते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान में भाजपा उन्ही सीटों पर हारी है जहाँ किसान आन्दोलन मज़बूत था. उन्होंने बताया कि मार्क्सवाद के ज़रिये ही हम अपने देश की बहुलतावादी संस्कृति और सामजिक ताने बाने को समझ सकते हैं. पीबी सदस्य अशोक ओंकार ने कहा कि यह विडम्बना है कि हम सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष तो मिलकर लड़ते हैं पर चुनाव अलग अलग लड़ते हैं. उन्होंने ज़मीनी स्तर पर काम करने और लोगों को जोड़े की वकालत की.

whatsapp image 2024 10 04 at 16.45.17
अनुभव दास शास्त्री संबोधित करते हुए।

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कबीरपंथी से मार्क्सवादी हुए अनुभवदास शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म के तथाकथि ठेकेदार कबीर और तुलसी की वाणी को ही नकारने का काम कर रहे है. सम्पूर्ण मानवजाति को एक समझने वाले धर्म में आज विभाजनकारी शक्तियां हावी हो गयी हैं. अंत में घासीलाल घटोदिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये

सेमिनार का संचालन करते हुए कार्यक्रम संयोजक महेंद्र नेह ने वामपंथी पार्टियों के प्रयासों पर सवालिया निशान लगाने वालों के जवाब में दुष्यंत कुमार के शेर पढ़ते हुए कहा

होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये
गूंगे निकल पड़े हैं, ज़ुबां की तलाश में
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये
उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें
चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments