कोटा में सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में विशाल जुलूस

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के जैन समाज ने झारखंड के जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के विरोध में आज विशाल मौन रैली निकाली। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के हजारों लोग आज सुबह कोटा में सेवन वंडर्स के पास एकत्र हुए और वहां से मौन जुलूस के रूप में रवाना हुए। मौन जुलूस में शामिल बहुत से लोग सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के प्रति जैन समाज का विरोध प्रकट करने के नारे लिखी तख्तियां लेकर चल रहे थे।
मौन जुलूस लाडपुरा, नयापुरा होता हुआ जिला कलक्ट्री के बाहर पहुंचा जहां आयोजित एक संक्षिप्त सभा में कोटा में विराजित जैन मुनि शुद्धा सागर महाराज ने अपने संबोधन में सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने की अधिसूचना को वापस लेने की बात कही।उन्होंने अपने उद्बोधन में इस तीर्थ स्थल के धार्मिक महत्व को इंगित किया और कहा कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित यह स्थल जैन धर्म के तीर्थंकरों का निर्वाण स्थल है इसलिए इसे अनादिकाल से शाश्वत तीर्थ माना जाता है। इस पर्वतराज की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि उस अधिसूचना को वापस लिया जाए जिसमें इस स्थान को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है क्योंकि सम्मेद शिखर दुनिया भर में जैन धर्म का पवित्र धार्मिक स्थल है जहां बड़ी संख्या में हर रोज तीर्थयात्री आते हैं। ऐसे में धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल बनाने का गलत संदेश जाएगा इसलिए इस घोषणा को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। बाद में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति और झारखंड के मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी जिला कलक्टर को सौंपा जिसमें जैन समाज की मांगों को दोहराया गया है।

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लंकेश कर्मयोगी रावण सरकार संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजाराम जैन कर्मयोगी,उपाध्यक्ष दिनेश दिलवाला के नेतृत्व में प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिला कलक्टर को सौंपकर सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले को वापस लेने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रामलीला के अवसरों पर रावण के द्वारा पहने जाने वाली पोषक को पहन कर अपना ज्ञापन देने कलक्ट्री पहुंचे थे जिसे देखने के लिए लोग बड़ी उत्सुकता से वहां जमा हो गए थे।
इस प्रतिनिधि मंडल की ओर से कलक्टर को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि जैन तीर्थ सम्मेद शिखर की आस्था से खिलवाड़ नहीं करें अन्यथा 26 जनवरी को दिल्ली में आमरण अनशन करेंगे। ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाए जाने की अदूरदर्शिता पूर्ण अधिसूचना जारी होने बाद जैन धर्म अनुयायियों की आस्था को भारी आघात पहुंचा है आध्यात्मिक जैन धर्म स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की सरकार की इस अविवेकपूर्ण सोच का समाज विरोध करता है। जैन समाज की भावनाओं को ध्यान में रखकर तुरंत प्रभाव से अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए अन्यथा 26 जनवरी को देश के लंकेश दिल्ली पहुंचकर आमरण अनशन करेंगे।
ज्ञापन में कहा गया है कि शाश्वत निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर का कण कण परम पावन एवं पूजनीय है। जैन तीर्थंकर इसी भूमि पर परम सिद्ध बने और भविष्य में भी बनते रहेंगे विश्वव्यापी जैन श्रद्धालु पर्वतराज पर चढ़ने से पहले स्नान कर पवित्र वस्त्र पहन कर नंगे पैर पर्वत की धूली अपने मस्तक पर लगाकर पर्वत की वंदना करते हैं। जैन समाज की के भावनाओं को ध्यान में रखकर तुरंत प्रभाव से सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए अन्यथा 26 जनवरी को देश के लंकेश दिल्ली पहुंचकर आमरण अनशन करेंगे जैन शास्त्रों में उल्लेखित रावण से संबंधित लेख से आपको अवगत कराना चाहेंगे जैन धर्म में महापंडित रावण भावी तीर्थंकर के रूप में जाने जाते हैं और उन्हें भी भविष्य में ध्यान की उत्कृष्ट अवस्था इससे पर्वतराज के मनोरम और पवित्र स्थल पर होकर परम सिद्धि की प्राप्ति एवं निर्वाण प्राप्त होगा जैन धर्म के 16 वे तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ हुए हैं रावण भगवान शांतिनाथ के परम भक्त थे शांतिनाथ विधान की पूजा सर्वप्रथम रावण ने ही की थी रावण के महल में 1000 सोने की विशाल खंभों से निर्मित भगवान श्री शांतिनाथ का मंदिर रावण के द्वारा ही निर्मित करवा कर भगवान श्री शांतिनाथ का नियमित पूजन किया जाता था। इस प्रकार रावण का जैन धर्म से प्राचीनतम नाता होने के कार देश के सभी लंकेश कलाकारों का संगठन कर्मयोगी रावण सरकार की ओर से आपको यह ज्ञापन प्रस्तुत करते हैं।
इसके पहले कोटा में आज समग्र जैन समाज की ओर से विरोध स्वरूप निकाली गई रैली को कर्मयोगी रावण सरकार द्वारा समर्थन देते हुए सेवन वंडर्स से ही रथ पर सवार होकर रैली में भाग लिया। उनके साथ में अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार अलका दुलारी जैन कर्मयोगी भी मंदोदरी की भूमिका में उपस्थित रही। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भवानीमंडी लंकेश दिनेश दिलवाला अपनी अर्धांगिनी सहित रैली में भाग लेकर कलक्ट्री पहुंचे और जिला कलक्टर को ज्ञापन प्रस्तुत किया इस अवसर पर जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने कहा गया भावनाओं का सम्मान रखते हुए इसे प्रधानमंत्री तक पहुंचाएंगे।

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