ऐ बारिश में भीगने वाले। होती है बरसात नशीली।।

shakoor anwar 129
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

वैसे भी है रात नशीली।
क्यों करते हो बात नशीली।।
*
ऐ बारिश में भीगने वाले।
होती है बरसात नशीली।।
*
चाॅंद के पीछे झूम रही है।
तारों की बारात नशीली।।
*
उपवन में मस्ती का आलम।
सावन की सौग़ात नशीली।।
*
कुछ नस्लों के फूल शराबी।।
कुछ फूलों की ज़ात नशीली।
*
उसके सो-सो रूप निराले।।
उसकी इक-इक बात नशीली।
*
दिल की बाज़ी हार के “अनवर”।
हमने खाई मात नशीली।।

शकूर अनवर

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